जेएनयू शिक्षक संघ ने प्रोफेसर की बर्खास्तगी के खिलाफ खोला मोर्चा, कुलपति को पद से हटाने की रखी मांग
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में शिक्षक संघ ने डा. रोहन वी.एच. चौधरी की सेवा समाप्ति के विरोध में प्रदर्शन किया। उन्होंने कुलपति शांतिश्री डी. पंडित को हटाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को पत्र लिखा और उनपर विश्वविद्यालय को निजी एजेंडे का अड्डा बनाने का आरोप लगाया। शिक्षकों ने जेएनयू की शैक्षणिक स्वायत्तता की रक्षा के लिए हस्तक्षेप की अपील की।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में सामाजिक विज्ञान संकाय के राजनीतिक अध्ययन केंद्र के संकाय सदस्य डा. रोहन वी.एच. चौधरी की सेवा समाप्ति के विरोध में शिक्षक संघ ने प्रशासन के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है।
सोमवार को शिक्षक संघ ने प्रशासनिक ब्लाक पर जोरदार प्रदर्शन किया और कुलपति शांतिश्री डी. पंडित को पद से हटाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने कुलपति पर विश्वविद्यालय को निजी एजेंडे का अड्डा बनाने का गंभीर आरोप लगाया है।
संघ के अध्यक्ष सुरजीत मजमूदार ने पत्र में लिखा है कि कुलपति की नियुक्ति के समय उनके पिछले रिकॉर्ड में कदाचार के मामले सामने आए थे, जिसके लिए उन्हें दंडित भी किया गया था। फिर भी, शिक्षक संघ ने गरिमापूर्ण चुप्पी बनाए रखी, यह उम्मीद करते हुए कि एक पूर्व छात्रा के रूप में वह जेएनयू की शैक्षणिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी।
हालांकि, शिक्षक संघ का कहना है कि पिछले साढ़े तीन वर्षों में कुलपति ने शिक्षकों की भावनाओं और अधिकारों को लगातार ठेस पहुंचाई है। मजूमदार ने कहा, शिक्षकों की गरिमा को बार-बार कुचला गया है। डा. रोहन की बर्खास्तगी इसका ताजा उदाहरण है, जो बिना किसी ठोस आधार के लिया गया एकतरफा फैसला है।
यह विश्वविद्यालय में तानाशाही रवैये को दर्शाता है। 26 अगस्त को विश्वविद्यालय की 323वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में लिए गए इस फैसले को शिक्षक संघ ने “अन्यायपूर्ण और अलोकतांत्रिक” करार दिया है।
प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने नारे लगाते हुए मांग की कि कुलपति को तत्काल पद से हटाया जाए और डा. रोहन की सेवा बहाल की जाए। शिक्षक संघ ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि जेएनयू की शैक्षणिक स्वायत्तता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हो सके।
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