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    नवंबर में हो सकते हैं JNUSU चुनाव, लेफ्ट गठबंधन पर टिकी निगाहें; सचिव को यूजीबीएम शुरू करने का निर्देश

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 05:16 PM (IST)

    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव 4 नवंबर को होने की संभावना है। विश्वविद्यालय ने प्रवेश के छठवें सप्ताह में चुनाव कराने की घोषणा की है। छात्र संगठन तैयारियों में जुट गए हैं और यूजीबीएम 10 अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है। सभी की निगाहें वाम छात्र संगठनों के गठबंधन पर टिकी हैं क्योंकि पिछले चुनाव में एबीवीपी ने इसका फायदा उठाया था।

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    10 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी यूजीबीएम व स्कूल जीबीएम, इसके बाद गठित होगी चुनाव समिति।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव चार नंवबर को आयोजित हो सकते हैं। विश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश के छठवें हफ्ते में चुनाव कराने की घोषणा की गई है।

    जेएनयूएसयू सचिव को यूनिवर्सिटी जनरल बाॅडी मीटिंग (यूजीबीएम) शुरू करने को कहा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 10 अक्टूबर से यूजीबीएम और स्कूल जीबीएम की शुरुआत हो जाएगी। उधर, छात्र संगठन तैयारियों में जुट गए हैं। छात्रों से अलग-अलग माध्यमों से संपर्क शुरू कर दिया है।

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    इसी साल अप्रैल में जेएनयूएसयू चुनाव हुए थे। अब पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया जल्द पूरी होने के चलते नवंबर में ही चुनाव हो रहे हैं। साल में दो बार चुनाव के चलते छात्र संगठनों को अधिक मेहनत करनी पड़ रही है।

    अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) अपनी स्कूल इकाइयों को बनाने और संगठित करने में लग गई है। हालांकि, सभी छात्रों की निगाहें वाम छात्र संगठनों के गठबंधन पर टिकी हुई हैं।

    पिछले चुनाव में आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआई) ने अपने रास्ते बदल लिए थे। आइसा ने डीएसएफ के साथ मिलकर गठबंधन बनाया था।

    इसका सीधा फायदा एबीवीपी को हुआ था और करीब 10 साल बाद सेंट्रल पैनल में वापसी करते हुए एबीवीपी ने संयुक्त सचिव का पद कब्जा लिया था।

    आइसा के अध्यक्ष और डीएसएफ के उपाध्यक्ष व सचिव चुने गए थे। अब एक बार फिर गठबंधन को लेकर चर्चा तो हो गई है। आइसा के एक पदाधिकारी ने कहा, गठबंधन को लेकर हमें कोई संशय नहीं था।

    लेकिन, निजी स्वार्थ को छोड़कर कैंपस के बारे में सोचना कोई नहीं चाहता। पिछले साल सबने देख लिया कि जेएनयू में कौन सा संगठन एबीवीपी के मुकाबले मजबूत है।

    बात जेएनयू की नहीं है। हाल में हैदराबाद विश्वविद्यालय में एबीवीपी ने क्लीन स्वीप किया है और एसएफआई गठबंधन में नहीं आई। आइसा ने दूसरे संगठनों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा।

    उन्होंने कहा, हमने सीपीएम के बड़े नेता से बात की, लेकिन एक समय पर उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। इसका फायदा एबीवीपी को हुआ। पिछले जेएनयूएसयू चुनाव में यही हुआ। आइसा के महासचिव प्रसन्नजीत ने कहा, चुनाव नजदीक आने पर गठबंधन को लेकर चर्चा की जाएगी।

    एसएफआई से पूर्व जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष अविजीत घोष ने कहा, हम सांस्कृतिक व वैचारिक रूप से छात्रों से जुड़ रहे हैँ। हमने गठबंधन का रास्ता खुला रखा है। हम उससे कभी पीछे नहीं हटे हैं। इस साल हम गठबंधन में जाएंगे।