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    JNU में बस इस छोटी सी बात पर हुआ बवाल, प्रशासन और छात्र आमने-सामने

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 08:02 AM (IST)

    जेएनयू के पुस्तकालय में नई प्रवेश प्रणाली को लेकर छात्रों और प्रशासन में टकराव हुआ। छात्रों ने फेस रिकग्निशन सिस्टम का विरोध किया और पुस्तकालय में तोड़फोड़ की जिसके बाद पुलिस को बुलाया गया। छात्र संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है और सिस्टम को हटाने की मांग की है। पुस्तकालय प्रशासन का कहना है कि यह सिस्टम सुरक्षा के लिए ज़रूरी है और छात्रों के हित में है।

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    जेएनयू के पुस्तकालय में नई प्रवेश प्रणाली को लेकर छात्रों और प्रशासन में टकराव हुआ। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के डॉ. बीआर अंबेडकर केंद्रीय पुस्तकालय में लागू की जा रही अत्याधुनिक प्रवेश प्रणाली को लेकर शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। प्रशासन और छात्र संघ आमने-सामने आ गए।

    सुबह पुस्तकालय के अंदर और बाहर जमकर हंगामा हुआ, जिसमें प्रवेश द्वार का शीशा तक टूट गया। हालात बेकाबू होते देख प्रशासन को दिल्ली पुलिस बुलानी पड़ी, जिसके विरोध में छात्रों ने जोरदार नारेबाजी की।

    इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित वीडियो में छात्र संघ अध्यक्ष नीतीश कुमार और अन्य छात्र गेट का शीशा तोड़ते नजर आ रहे हैं। सुरक्षाकर्मी उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन छात्र अंदर जाने पर अड़े रहे। इस दौरान नीतीश कुमार के दाहिने पैर में चोट लग गई और उन्हें दो टांके लगाने पड़े।

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    बाद में छात्र संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया। नीतीश कुमार ने कहा, "जब छात्रों के अधिकार छीने जाएंगे, तो ताले तोड़े जाएंगे।"

    उन्होंने आरोप लगाया कि पुस्तकालय प्रशासन बिना सहमति के फेस रिकग्निशन सिस्टम लागू कर रहा है। उनकी मांग है कि इस मशीन को हटाया जाए और पुस्तकालय की बुनियादी सुविधाओं को उन्नत किया जाए। साथ ही, उन्होंने छात्र संघ की 11 माँगों का ज़िक्र किया, जिनमें बैठने की क्षमता बढ़ाकर 1000 करना, दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था करना और कार्यवाहक लाइब्रेरियन का इस्तीफ़ा शामिल है।

    जेएनयू की उपाध्यक्ष मनीषा ने भी कहा कि शीशा तोड़ना मजबूरी थी क्योंकि छात्रों को लाइब्रेरी से बाहर नहीं आने दिया जा रहा था और पुलिस बल तैनात था। उन्होंने कहा कि इसका मक़सद संपत्ति को नुकसान पहुँचाना नहीं, बल्कि बाहर निकलने का रास्ता ढूँढना था।

    दूसरी ओर, लाइब्रेरियन मनोरमा त्रिपाठी ने छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि नीतीश कुमार "गुंडागर्दी" कर रहे हैं और सीसीटीवी फुटेज इसका सबूत है। उन्होंने कहा कि चेहरा पहचानने वाला सिस्टम रातोंरात नहीं लगाया गया, बल्कि तीन साल की प्रक्रिया और मंज़ूरी के बाद इसे लागू किया गया है।

    उनका कहना है कि हाल ही में बाहरी छात्रों द्वारा लाइब्रेरी में आपत्तिजनक शब्द लिखे गए थे, इसलिए प्रवेश पर नियंत्रण ज़रूरी है। लाइब्रेरियन के अनुसार, यह सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित है और 80 प्रतिशत छात्र इसके पक्ष में हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब छात्र प्रवेश पत्र में फ़ोटो जमा करते हैं, तो चेहरा पहचानने पर आपत्ति क्यों है।

    जेएनयू परिसर में यह विवाद अब सिर्फ़ तकनीकी व्यवस्था का मामला नहीं रह गया है, बल्कि इसे सुरक्षा और छात्र अधिकारों की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। एक ओर प्रशासन सुरक्षित और नियंत्रित प्रवेश व्यवस्था पर ज़ोर दे रहा है, वहीं दूसरी ओर छात्र संघ इसे आज़ादी पर अंकुश बताकर इसका विरोध कर रहा है।