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    JNUSU के चार पूर्व पदाधिकारियों पर JNU प्रशासन ने लगाया जुर्माना, 10 दिन में जमा करने का आदेश; जानिए क्या है मामला

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 08:52 PM (IST)

    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों पर अनुशासनहीनता के आरोप में जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई मार्च में हुई भूख हड़ताल के संबंध में है जो नई जुर्माना नीति के खिलाफ थी। जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष महासचिव और संयुक्त सचिव पर 15000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। छात्रों को 10 दिन में जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया है।

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    जेएनयू में पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों पर जुर्माना लगाकर की है कार्रवाई।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने पूर्व छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) पदाधिकारियों पर अनुशासनहीनता के आरोप में 5,000 से 15,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया है।

    यह कार्रवाई इसी वर्ष मार्च में हुए भूख हड़ताल आंदोलन के संबंध में की गई है, जो विश्वविद्यालय की नीति के खिलाफ किया गया था।

    जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष धनंजय, महासचिव प्रियांशी आर्या, और संयुक्त सचिव मोहम्मद साजिद पर 15,000 रुपये और पूर्व उपाध्यक्ष अविजीत घोष पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

    छात्रों को जो नोटिस जारी किया है, उसमें कहा गया है कि प्राॅक्टोरियल जांच में छात्रों को दोषी पाया गया है। उन पर सुरक्षा कर्मियों से बदसलूकी करने और जबरन प्रशासनिक कार्यालय में घुसने का प्रयास आरोप है।

    इसके साथ ही आपातकालीन निकास को अवरुद्ध करने, विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप भी लगाए गए हैं।

    प्रशासन ने इसे विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन, जैसे प्रशासनिक कार्यों में बाधा डालना, ज़बरदस्ती प्रदर्शन करना और संपत्ति का नुकसान, माना है।

    नोटिस में कहा गया है कि छात्रों के अकादमिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने “कुछ हद तक नरमी” बरती है। छात्रों को दस दिनों के भीतर जुर्माना जमा कराने का निर्देश दिया गया है।

    मार्च में जेएनयूएसयू ने डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेलफेयर कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल की थी। हड़ताल अनुशासनात्मक नियमों को वापस लेने के लिए की गई थी।

    जिनमें 20,000 रुपये तक का जुर्माना और प्रदर्शन, ‘राष्ट्र विरोधी’ नारेबाजी अथवा असहमति व्यक्त करने पर निष्कासन तक का प्रविधान है।

    छात्र संगठनों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन असहमति के अधिकार को दबाने के लिए कठोर नियम लाए गए हैं।

    उनका कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर विचारों की अभिव्यक्ति का स्थान रहा है, और ऐसे नियम लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर कर सकते हैं। इसलिए इन्हें वापस लिया जाना चाहिए। वर्तमान में भी जेएनयूएसयू के पदाधिकारी भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं।

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    वे लगातार प्रवेश परीक्षाएं जेएनयूईई से कराने, प्राॅक्टोरियल जांच के नियम बदलने, छात्रों पर लगाए जुर्माने वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूर्व पदाधिकारियों पर कार्रवाई की है।