JNU में कुत्तों का आतंक, दिव्यांग छात्रों की सुरक्षा पर सवाल; नोटिस जारी कर 30 दिनों में मांगा जवाब
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दिव्यांग छात्रों पर कुत्तों के बढ़ते हमलों के कारण दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने नोटिस जारी किया है। दृष्टिबाधित छात्रों सहित कई छात्रों पर कुत्तों ने हमला किया है। विभाग ने जेएनयू से 30 दिनों में जवाब मांगा है क्योंकि छात्रों ने सुरक्षा और गतिशीलता को लेकर शिकायतें दर्ज कराई हैं। छात्रों का आरोप है कि शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को हाल ही में दिव्यांग छात्रों पर कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं को लेकर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया है। हाल के हफ्तों में कुत्ताें के हमले के दृष्टिबाधित छात्रों सहित कम से कम 12 मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं के मद्देनज़र सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन इस विभाग ने जेएनयू से 30 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।
यह नोटिस 14 मई को तब जारी किया गया जब एक दृष्टिबाधित छात्र द्वारा की गई औपचारिक शिकायत में दिव्यांग छात्रों की सुरक्षा और गतिशीलता को लेकर लगातार खतरे की बात सामने रखी गई। शिकायत में विशेष रूप से पेरियार, कावेरी और गोदावरी जैसे दिव्यांग छात्रों के लिए आरक्षित छात्रावासों के आसपास समस्या गंभीर बताई गई।
शिकायतें देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई
छात्रों का आरोप है कि प्रशासन और अन्य संबंधित निकायों को कई बार शिकायतें देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। एक दृष्टिबाधित छात्र ने कहा, सबसे अधिक समस्या हमें होती है। हमें छड़ी लेकर घूमते हैं। जानवर उसे नहीं समझता और हमला कर देता है।
उन्होंने कहा, एक बार कुत्ता काटने के बाद छात्र इंजेक्शन लगवाने हेल्थ सेंटर जा रहा था और वहां दोबारा कुत्ते ने उन्हें काट लिया था। एक अन्य छात्रा ने बताया, कई बार हमें कुत्तों के डर से अपनी पढ़ाई या अन्य योजनाएं रद्द करनी पड़ीं। कोई सुनता नहीं जब तक कोई गंभीर रूप से घायल न हो जाए।
जेएनयू में कुत्तों के लिए सात फीडिंग प्वाइंट बनाए गए
जेएनयू की अधिष्ठाता छात्र कल्याण (डीओएस) ने कहा, हमने सभी जरूरी कदम उठाए हैं। सभी छात्रावासों के वार्डन के साथ बैठक की है। सुरक्षाकर्मियों को अलर्ट किया गया है। उन्होंने कहा, समस्या पशु प्रेमियों की है। जेएनयू में कुत्तों के लिए सात फीडिंग प्वाइंट बनाए गए हैं। लेकिन, उनको छोड़कर सड़क के बीच में उन्हें भोजन खिलाया जाता है।
इससे कुत्ते इधर-उधर घूमते हैं और दिव्यांग छात्रों को शिकार बना लेते हैं। एमसीडी को भी समस्या से अवगत कराया है। कोशिश की जा रही है फीडिंग प्वाइंट पर ही कुत्तों को खाना खिलाया जाए। परिसर की देखरेख् करने वाली समिति ने नोटिस भी जारी किया है।
528 पंजीकृत कुत्ते, असली संख्या अधिक होने की आशंका
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि परिसर में 528 कुत्ते पंजीकृत हैं, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि जेएनयू के 75 प्रतिशत क्षेत्र में जंगल है, जिससे यह कुत्तों के लिए प्राकृतिक आवास बन गया है और उन्हें हटाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय इस मुद्दे पर नियमित रूप से नगर निगम के संपर्क में है, जो नसबंदी और पुनर्वास के लिए जिम्मेदार है।
आरपीडब्ल्यूडी एक्ट के प्रविधानों का उल्लंघन
शिकायत में यह भी कहा गया है कि आरपीडब्ल्यूडी (दिव्यांगों के अधिकार का कानून) अधिनियम, 2016 के तहत आवश्यक लायज़न अधिकारी की नियुक्ति आज तक नहीं हुई है। साथ ही इक्वल अपारच्युनिटी सेल, जिसे वंचित वर्गों की शिकायतों को संबोधित करना चाहिए, ने दिव्यांग छात्रों की शिकायतों पर कोई कदम नहीं उठाया। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र संघ दोनों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
नोटिस में आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम के कई प्रविधानों का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय को दिव्यांग छात्रों की सुरक्षा, पहुंच और गरिमा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी याद दिलाई गई है। विभाग ने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय में उत्तर नहीं दिया गया, तो मामले का निर्णय एकतरफा लिया जाएगा।
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