JNU में अव्यवस्था के बीच नए सत्र की शुरुआत, पीएचडी में एडमिशन और मेरिट लिस्ट पर उठ रहे सवाल
जेएनयू में नया शैक्षणिक सत्र देरी से शुरू होने पर शिक्षक संघ ने विरोध जताया है। पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया और मेरिट लिस्ट बनाने के तरीके पर भी सवाल उठाए गए हैं। शिक्षकों का आरोप है कि प्रशासन उनकी मांगों को अनसुना कर रहा है और उन पर एपीएआर भरने का दबाव बना रहा है। जेएनयूटीए ने इन नीतियों के खिलाफ आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नया सत्र दो जुलाई से छात्रों के पंजीकरण के साथ शुरू होगा, जबकि कक्षाएं नौ जुलाई से शुरू होंगी।
हालांकि यूजी और पीजी के नए छात्रों की पहली प्रवेश सूची 29 जुलाई तक ही पूरी होगी और अंतिम सूची 14 अगस्त तक जारी होगी।
इसके चलते प्रथम वर्ष के छात्रों की कक्षाएं जुलाई के अंत तक ही शुरू हो पाएंगी, जबकि पुराने छात्रों का मानसून सेमेस्टर तीन सप्ताह पहले से शुरू हो चुका होगा। जेएनयू शिक्षक संघ ने इसे अव्यवस्था करार दिया है।
सितंबर तक ही पीएचडी में प्रवेश शुरू होने की संभावना
जेएनयूटीए ने एक बयान जारी कर कहा है कि पीएचडी प्रवेश सितंबर 2025 में ही होंगे, जिससे उनके सेमेस्टर कब समाप्त होंगे, यह स्पष्ट नहीं है।
चौंकाने वाली बात यह है कि जून 2025 की नेट परीक्षा के परिणाम देर से घोषित होने के कारण उसका स्कोर पीएचडी प्रवेश में शामिल नहीं किया जाएगा। इससे 2025 में मास्टर डिग्री पूरी कर नेट देने वाले छात्रों को बाहर कर दिया जाएगा।
जेएनयूटीए ने कहा- सांख्यिकी नियमों के खिलाफ है मेरिट लिस्ट
जेएनयूटीए ने यह भी कहा कि पीएचडी प्रवेश की मेरिट लिस्ट नेट के पर्सेंटाइल स्कोर और वाइवा के स्कोर को जोड़कर बनाई जा रही है, जो सांख्यिकी के नियमों के खिलाफ है।
इससे 70 प्रतिशत वेटेज वाले लिखित परीक्षा के अंक व्यर्थ हो जाएंगे और 30 प्रतिशत वेटेज वाला वाइवा ही निर्णायक बन जाएगा। यह न तो यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार है और न ही विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गरिमा के।
जेएनयू प्रशासन पर आरोप है कि उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के प्रस्ताव को भी टाल दिया, जबकि कई स्कूलों ने इसके पक्ष में प्रस्ताव पारित किए थे।
डीनों की राय का गलत हवाला देकर रोकी गई चर्चा
शिक्षकों का कहना है कि डीनों की राय का गलत हवाला देकर चर्चा को रोका गया, जबकि अधिकांश डीन जेएनयूईई के पक्ष में थे।
इसके साथ ही, शिक्षकों से एपीएआर (वार्षिक गोपनीय आख्या रिपोर्ट) पोर्टल पर भरने का दबाव डाला जा रहा है, जबकि यह प्रोफेसरों के लिए अनिवार्य नहीं है।
जेएनयूटीए ने स्पष्ट किया कि एपीएआर केवल 2018 यूजीसी रेगुलेशन के तहत कैस प्रमोशन के लिए आवश्यक है। विश्वविद्यालय की इन नीतियों के खिलाफ जेएनयूटीए का आंदोलन जारी रहेगा।
संगठन ने कहा है कि कुलपति से मिलकर शिक्षकों की चिंताओं को रखा जाएगा, भले ही कुलपति ने अभी तक मुलाकात की तारीख की पुष्टि नहीं की है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।