जाति जनगणना को जमीयत का समर्थन, महमूद मदनी ने मुसलमानों से की ये अपील
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने 2027 में होने वाली जाति जनगणना का स्वागत किया है। मौलाना महमूद मदनी ने मुसलमानों से जनगणना में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह न्यायपूर्ण शासन और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करेगी। मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम इस्लामी बराबरी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है बल्कि पिछड़े मुसलमानों को न्याय दिलाने का प्रयास है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वर्ष 2027 में होने वाली जाति जनगणना का जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्वागत किया है। साथ ही इसमें मुस्लिम समाज से बढ़चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया है।
जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि यह प्रक्रिया न्यायपूर्ण शासन, सही नीति निर्माण और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करेगी। यह अब केवल एक सरकारी औपचारिकता नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक आवश्यकता बन चुकी है।
इससे मिलने वाले आंकड़े आरक्षण नीति, सामाजिक विकास योजनाओं और कल्याणकारी लाभों के निष्पक्ष वितरण पर सीधा प्रभाव डालेंगे।
इस संदर्भ में मौलाना मदनी ने देश के सभी मुसलमानों से अपील की है कि वे इस जनगणना प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। हर मुस्लिम परिवार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी प्रचलित जाति की पहचान सही तरीके से दर्ज हो।
उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की स्थानीय इकाइयों, सभी मुस्लिम संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और समुदाय के नेताओं से अनुरोध किया गया है कि वे आम लोगों का मार्गदर्शन करें और उन्हें इस प्रक्रिया के दीर्घकालिक प्रभावों से अवगत कराएं।
मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम इस्लामी बराबरी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक व्यावहारिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यद्यपि इस्लाम एक समानता-आधारित समाज का समर्थन करता है, लेकिन भारत में मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा रह गया है।
अब समय आ गया है कि हम इसे एक नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य समझकर, सबसे अधिक वंचित तबकों-विशेषकर पिछड़े और कमजोर मुसलमानों-को न्याय दिलाने का प्रयास करें।

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