Delhi Organ Transplant: अंगदान में मिले अंगों को मेट्रो से भी अस्पताल पहुंचाना होगा संभव
Organ Donation अब अंगदान में मिले अंगों को मेट्रो से भी अस्पताल संभव पहुंचाना होगा। अभी एक व्यक्ति के अंगदान से औसतन तीन मरीजों को जीवन मिल पाता है। परिवहन सुविधाओं के आड़े आने से कई बार प्रत्यारोपण में अंग इस्तेमाल नहीं हो पाते।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली सहित देश के कुछ शहरों में अंगदान बढ़ने के बावजूद अंगों को इमरजेंसी में जल्दी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में परिवहन सुविधाओं की कमी आड़े आ रही है। इस वजह से कई बार अंगदान में उपलब्ध अंग प्रत्यारोपण में इस्तेमाल नहीं हो पाते।
लिहाजा प्रत्यारोपण में अंगों के इस्तेमाल की दर बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए सफदरजंग अस्पताल के परिसर में स्थित केंद्र सरकार के राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) दान में मिले अंगों को बिना किसी अड़चन के जल्दी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने की सुविधा विकसित करने की तैयारियों में लगा हुआ है। इसलिए आने वाले समय में मेट्रो से भी अंगों को पहुंचाने की सुविधा हो सकती है।
दिल्ली में औसतन करीब 3 मरीजों को हो रहा प्रत्यारोपण
नोटो के अधिकारी बताते हैं कि विमान के अलावा रेल, मेट्रो, बस सहित परिवहन के सभी माध्यमों द्वारा अंगों को पहुंचाने के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। किसी व्यक्ति के ब्रेन डेड होने पर दोनों किडनी, लिवर, हृदय, फेफड़ा, दोनों कार्निया, पैंक्रियाज इत्यादि दान किए जा सकते हैं। इसलिए एक व्यक्ति के अंगदान से औसतन पांच लोगों का जीवन बचाया जा सकता है और दो लोगों को रोशनी मिल सकती है। मौजूदा समय में एक व्यक्ति के अंगदान से दिल्ली में औसतन करीब तीन मरीजों को प्रत्यारोपण हो रहा है।
नोटो के अधिकारी कहते हैं कि अंगदान की सूचना अचानक मिलती है। यदि दूसरे शहर में जाकर डोनर से अंग लाना हो तो कई बार समय पर फ्लाइट उपलब्ध नहीं होती। कई बार विमान के उड़ान को देर करने की जरूरत होती है। इन सब में समस्या आती है।
परिवहन से संबंधित सभी विभागों में नियुक्त होंगे नोडल अधिकारी
नोटो के निदेशक डा. कृष्ण कुमार ने कहा कि नवंबर में नीति आयोग ने इस मामले को लेकर एक बैठक की थी जिसमें नागरिक उड्डयन, रेलवे, परिवहन, स्वास्थ्य सहित आठ मंत्रालयों के अधिकारी बुलाए गए थे। जिसमें दूसरे शहरों से विमान से अंगों लाने की सुविधा आसान बनाने के साथ-साथ मेट्रो, जल मार्ग व परिवहन के अन्य साधनों से अंगों को पहुंचाने की व्यवस्था बनाने पर चर्चा हुई।
दिल्ली में मेट्रो का नेटवर्क एनसीआर के सभी शहरों तक हो चुका है। एयरपोर्ट और बड़े अस्पताल भी इसके नेटवर्क से जुड़े हैं। इसलिए यह विकल्प तलाश की जा रही है कि मेट्रो का ग्रीन कारिडोर बनाकर अंगों को अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। इसलिए परिवहन से संबंधित सभी विभागों में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने पर विचार चल रहा है।
ये नोडल अधिकारी जरूरत पड़ने पर परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने में मदद करेंगे। नोटो के अनुसार एयरपोर्ट अथारिटी में एक नोडल अधिकारी नियुक्त हो गए हैं। इससे परिवहन संबंधी समस्या दूर होगी। इससे प्रत्यारोपण बढ़ेगा। नोटो के अनुसार उत्तर भारत में वर्ष 2022 में 80 से ज्यादा लोगों का अंगदान हुआ है। दिल्ली एनसीआर में ही 30 लोगों का अंगदान हुआ जिससे 96 लोगों को जीवन मिला।

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