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क्या गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर है महामृत्युंजय मंत्र, जल्द उठेगा रहस्य से पर्दा

आरएमएल अस्पताल में चल रहे शोध के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने फंड जारी किया है। ब्रेन इंजरी के 40 मरीजों पर यह अध्ययन किया जा रहा है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 09:54 AM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 12:11 PM (IST)
क्या गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर है महामृत्युंजय मंत्र, जल्द उठेगा रहस्य से पर्दा
क्या गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर है महामृत्युंजय मंत्र, जल्द उठेगा रहस्य से पर्दा

नई दिल्ली, जेएनएन। देश में महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग हजारों साल से होता रहा है। अनेक लोग गंभीर बीमारियों में जीवन बचाने के लिए भी इस मंत्र का जाप करते हैं। अब तक इसे लोगों की आस्था से जोड़कर देखा जाता रहा है। अब वैज्ञानिक दृष्टि से यह मंत्र स्वास्थ्य के लिए कितना असरदार है, इसका पता लगाने के लिए केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल (Ram Manohar Lohia (RML) Hospital) में करीब चार साल से शोध चल रहा है। यह शोध अंतिम चरण है। इस शोध के अब तक के नतीजों से डॉक्टर उत्साहित हैं। डॉक्टरों का कहना है कि डाटा का विश्लेषण चल रहा है। एक दो-माह में रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।

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अमेरिका की फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी ने भी यहां के डॉक्टरों से संपर्क कर इस शोध से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है। आरएमएल अस्पताल में यह शोध गंभीर ब्रेन इंजरी वाले मरीजों पर किया गया है। वर्ष 2016 में इस पर शोध शुरू हुआ था।

मान्यता या विज्ञान, पता चलेगा अब

अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. अजय चौधरी के नेतृत्व में यह शोध चल रहा है। उन्होंने कहा कि देश में लोग जीवन रक्षक के रूप में इस मंत्र का प्रयोग करते हैं। यह सिर्फ मान्यता है या विज्ञान से इसका संबंध है, यह जानने के लिए शोध हो रहा है। इस तरह के मंत्रों पर देश में शोध कम हुए हैं, लेकिन विदेशों में काफी काम हो रहा है।

उपवास से दूर होते हैं कई गंभीर रोग
उन्होंने कहा कि देश में लंबे समय से लोग खास अवसरों पर उपवास करते रहे हैं। इसको लेकर भी देश में कोई शोध नहीं हुआ। जबकि 2016 में मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार जापान के जिस डॉक्टर को मिला उन्होंने उपवास पर ही शोध किया था। शोध में बताया गया था कि उपवास से शरीर के अंदर कैंसर समेत अन्य बीमारियों के लिए जिम्मेदार सेल्स खत्म हो जाती हैं।

ब्रेन इंजरी के 40 मरीजों पर अध्ययन
वहीं, डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि आरएमएल अस्पताल में चल रहे शोध के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने फंड जारी किया है। ब्रेन इंजरी के 40 मरीजों पर यह अध्ययन किया जा रहा है। इन मरीजों को 20-20 के दो ग्रुप में बांटा गया। एक ग्रुप के मरीजों को प्रोटोकॉल के तहत निर्धारित इलाज किया गया। दूसरे ग्रुप के मरीजों को इलाज के साथ-साथ महामृत्युंजय मंत्र भी सुनाया गया। यह काम आइसीयू के बाहर रिहैबिलिटेशन के दौरान किया गया। पहले यह पूरी प्रक्रिया अस्पताल में हुई। बाद में कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया स्थित संस्कृत विद्यापीठ को इस शोध में शामिल किया गया और मरीजों को महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग कराया गया।

गायत्री मंत्र से बढ़ती है बौद्धिक क्षमता
एम्स में गायत्री मंत्र पर शोध हुआ है। एम्स के डॉक्टर व आइआइटी के एक वैज्ञानिक ने मिलकर यह शोध किया है। जिसमें यह पाया गया कि गायत्री मंत्र के उच्चारण से बौद्धिक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। शोध के दौरान डॉक्टरों ने मंत्रोच्चारण से मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव का एमआरआइ जांच से भी अध्ययन किया। शोध में यह पाया गया है कि गायत्री मंत्र के उच्चारण से मस्तिष्क के अच्छे हार्माेन बढ़ जाते हैं, जिससे बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।

पढ़िए- क्या है मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है। शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है। शास्त्रों की मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र चमत्कारी एवं शक्तिशाली मंत्र है। जीवन की अनेक समस्याओं को सुलझाने में यह सहायक है। अगर मन में श्रद्धा हो तो क ठिन समस्याएं भी इससे सुलझ जाती हैं। यह ग्रहों की शांति में भी अहम भूमिका निभाता है। चूंकि हमारा जीवन नवग्रहों की चाल से प्रभावित होता है, इसलिए अगर किसी ग्रह का दोष जीवन में बाधा पहुंचा रहा है तो यह मंत्र उस दोष को दूर कर देता है।

मंत्र जप की विधि

महा मृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण सवा लाख है और लघु मृत्युंजय मंत्र की 11 लाख है। इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला पर सोमवार से शुरू किया जाता है। जप सुबह 12 बजे से पहले होना चाहिए,क्योंकि ऐसी मान्यता है की दोपहर 12 बजे के बाद इस मंत्र के जप का फल नहीं प्राप्त होता है। अंत में हवन हो सके तो श्रेष्ठ है। ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, हानि की सम्भावना या धन-हानि हो रही हो, वर-वधू के मेलापक दोष, घर में कलह, सजा का भय या सजा होने पर,कोई धार्मिक अपराध होने पर और अपने समस्त पापों के नाश के लिए महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया या कराया जा सकता है

महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ

समस्त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं। विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं।|| इस मंत्र का विस्तृत रूप से अर्थ ||हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं,उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं, तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं|

महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव

मेरे विचार से महामृत्युंजय मंत्र शोक, मृत्यु भय, अनिश्चता, रोग, दोष का प्रभाव कम करने में, पापों का सर्वनाश करने में अत्यंत लाभकारी है| महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या करवाना सबके लिए और सदैव मंगलकारी है,परन्तु ज्यादातर तो यही देखने में आता है कि परिवार में किसी को असाध्य रोग होने पर अथवा जब किसी बड़ी बीमारी से उसके बचने की सम्भावना बहुत कम होती है, तब लोग इस मंत्र का जप अनुष्ठान कराते हैं|

मुख्य रूप से यह जीवनरक्षक मंत्र कहलाता है। अगर कोई व्यक्ति सदैव रोगी रहता है, जिसके साथ सड़क या उपकरणों से संबंधित दुर्घटनाएं होती हैं, जो वाहन के संचालन से जुड़े हैं या जो गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, वे सोमवार को ये उपाय करें तो उन पर सर्व विघ्नहर्ता भगवान शिव की कृपा होती है।

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