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80 साल की शीला दीक्षित को क्यों मिली दिल्ली की कमान, कांग्रेस का दांव है या मजबूरी

दिल्ली कांग्रेस के पास अरविंदर सिंह लवली, राजेश लिलोठिया, देवेंद्र यादव जैसे युवाओं नेताओं के दावेदारों को दरकिनार कर 80 वर्ष की होने जा रही शीला को क्यों इस पर बिठा गया है?

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 09:21 AM (IST)
80 साल की शीला दीक्षित को क्यों मिली दिल्ली की कमान, कांग्रेस का दांव है या मजबूरी
80 साल की शीला दीक्षित को क्यों मिली दिल्ली की कमान, कांग्रेस का दांव है या मजबूरी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इसी साल मार्च महीने में 80 साल की होने जा रही 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) का अध्यक्ष बनाया गया है। दिल्ली कांग्रेस के पास अरविंदर सिंह लवली, राजेश लिलोठिया, देवेंद्र यादव जैसे युवाओं नेताओं के दावेदारों को दरकिनार कर 80 वर्ष की होने जा रही शीला को क्यों इस पर बिठा गया है? यह सवाल राजनीतिक पंडितों के साथ आम लोगों के जेहन में भी उठ रहा है। यह अलग बात है कि शीला दीक्षित को पार्टी के कामकाज में सहयोग करने के लिए पूर्व मंत्री हारून यूसुफ, पूर्व विधायक देवेंद्र यादव और पूर्व प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष राजेश लिलोठिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। ऐसी स्थिति में किसी युवा को ही दिल्ली कांग्रेस की कमान दे दे जाती। 

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शीला को चुनने के पीछे कांग्रेस ने दिया तर्क, लेकिन... 

इतनी बुजुर्ग नेता को पार्टी अध्यक्ष बनाने के पीछे कांग्रेस अालाकमान ने जो तर्क दिए हैं, वे आसानी से हजम नहीं हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों को देखते हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह दिल्ली में भी अनुभव को वरीयता दी है। सोचने की बात है कि जहां भारतीय जनता पार्टी से मनोज तिवारी और आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल दिल्ली में जनता से मुखातिब होंगे, ऐसे में 80 साल की शीला अपने आपको कहां पाएंगी? इससे भी अधिक अरविंद केजरीवाल और मनोज तिवारी दोनों ही 50 साल के आसपास हैं, ऐसे में कांग्रेस युवाओं की पसंद में पिछड़ भी सकती है। 

ये सियासत तो नहीं....

अजय माकन के इस्तीफे के बाद से ही इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि किसी युवा और तेजतर्रार नेता को दिल्ली कांग्रेस मुखिया की कमान सौंपी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अनुभवी का हवाला देकर शीला दीक्षित को पार्टी की कमान सौंप दी गई। 

मजबूरी में हुआ चुनाव

कहा जा रहा है कि 2109 का लोकसभा चुनाव नजदीक है और कांग्रेस नहीं चाहती थी कि पार्टी में फूट नहीं पड़े, इसलिए शीला का चुनाव किया गया। लेकिन राजनीतिक के जानकार मानते हैं कि शीला दीक्षित का चुना जाना एक मजबूरी ही है। जहां आज ज्यादातर युवा मतदाता हैं,  ऐसे में शीला को चुना जाना कांग्रेस की मजबूरी को दर्शाता है। 

अजय माकन ने ट्वीट कर दीक्षित को दी बधाई
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने भी ट्वीट कर शीला दीक्षित को फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। माकन ने ट्वीट किया, उनके अधीन मुङो संसदीय सचिव एवं कैबिनेट मंत्री के तौर पर काम करके सीखने का अवसर मिला। मुङो विश्वास है कि शीला जी की अगुआई में हम मोदी और केजरीवाल सरकार के विरोध में सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।

दिल्ली में नेतृत्व का संकटः AAP
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने पर आम आदमी पार्टी ने कहा है कि प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति कांग्रेस का आंतरिक मामला है। 2013 में शीला दीक्षित जब मुख्यमंत्री थीं, तब वह अपनी सीट अरविंद केजरीवाल से हार गईं। तब से कांग्रेस ने दो बार अध्यक्षों को बदल दिया। पार्टी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में जीरो पर पहुंच गई। बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश का सीएम उम्मीदवार बनाया गया, वहां भी कांग्रेस को हार मिली। उन्हें वापस लाने का मतलब है कि दिल्ली कांग्रेस में नेतृत्व की गंभीर कमी है। हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस के मुख्य मीडिया प्रभारी मेहंदी माजिद ने प्रदेश की नव नियुक्त नेतृत्व टीम के लिए पार्टी हाईकमान राहुल गांधी के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि अनुभव और युवा शक्ति का मेल दिल्ली में पार्टी में नए जोश उत्साह का संचार करेगा।


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