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    एक करोड़ कीमत की तीन कारें बरामद, अंतरराज्यीय कार चोर गिरोह का भंडाफोड़; छह गिरफ्तार

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 11:19 PM (IST)

    पूर्वी दिल्ली पुलिस ने एक अंतरराज्यीय कार चोर गिरोह का भंडाफोड़ किया है जिसमें सरगना समेत छह लोग गिरफ्तार हुए हैं। पुलिस ने चोरी की तीन कारें फर्जी नंबर प्लेट और नकली चाबियां बरामद की हैं। गिरोह के सदस्य कारों को चोरी कर मेरठ भेजते थे जहां नकली नंबर प्लेट लगाकर उन्हें उत्तर पूर्वी राज्यों में बेच देते थे। पुलिस मामले की आगे जांच कर रही है।

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    अंतरराज्यीय कार चोर गिरोह का भंडाफोड़, छह दबोचे।

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। पूर्वी जिले की एंटी नारकोटिक्स स्क्वाड ने अंतरराज्यीय कार चोर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। सरगना समेत छह गुर्गों को दिल्ली, अलीगढ़ और बिहार के पूर्वी चंपारण से दबोचा है।

    इनके कब्जे से एक करोड़ से अधिक कीमत की चोरी की तीन कारें, फर्जी नंबर प्लेट, नकली चाबियां और नकली आरसी बरामद की गई हैं।

    यह कारों को चोरी कर मेरठ भेज देते थे, वहां नकली नंबर प्लेट लगाने के बाद उनको मेरठ, अलीगढ़ के रास्ते उत्तर पूर्वी राज्यों के शहरों में बेचने ले जाते थे। यह भी बताया कि उनका गिरोह दिल्ली के साथ मेरठ और अलीगढ़ में भी सक्रिय है।

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    डीसीपी अभिषेक धानिया ने बताया कि 27 अगस्त को सूचना पर जामिया नगर निवासी कासिम हुसैन को गाजीपुर इलाके में हिंडन नहर रोड से गिरफ्तार किया था। वह जिस कार में सवार था, वह चोरी की थी। जांच में सामने आया कि उस पर पहले से चार मामले चल रहे हैं।

    उनमें वह पहले भी कई बार वाहन चोरी में जेल जा चुका है। वह वाहन चोरी गिरोह का सरगना निकला। पूछताछ में उसने बताया कि वह गाजियाबाद विजय नगर निवासी खुशनवाज और जामिया नगर ओखला विहार निवासी ताज मोहम्मद के जरिये चोरी की कारों के सिलीगुड़ी के रास्ते उत्तर पूर्वी राज्यों के शहरों में बेचने के लिए भेजता था। पुलिस टीम ने इन दोनों को दबोचा।

    वहीं, इनका एक और सहयोगी अबुजर उर्फ सोनू बिहार को पूर्वी चंपारण से चोरी की कार समेत दबोचा गया। आगे की छानबीन में अलीगढ़ से दो रिसीवर आमिर मालिक और आसिफ खान भी पकड़े गए, जिनके पास से एक और चोरी की कार बरामद हुई।

    पूछताछ में इन्होंने बताया कि वह नकली चाबियों की मदद से चोरी करते थे। चोरी करने के ठीक बाद कारों को मेरठ लेकर जाते थे।

    वहां नंबर प्लेट बदली जाती थीं और नकली आरसी बनाते थे, ताकि कहीं जांच को तो पकड़े न जाएं। इस तरह से वह अलीगढ़ के रास्ते सिलीगुड़ी होते हुए उत्तर पूर्वी राज्यों तक पहुंचते थे। वहां उन कारों को बेच देते थे।

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