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    Delhi News: अंतरधार्मिक सम्मेलन में PFI जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित

    By Pradeep Kumar ChauhanEdited By:
    Updated: Sat, 30 Jul 2022 09:19 PM (IST)

    Delhi News इस सम्मेलन में पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) व उस जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया तथा सर तन से जुदा नारे को गैरइस्लामिक बताते हुए इसका उल्लेख करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की गईं।

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    Delhi News: सम्मलेन में कट्टरवादी ताकतों से लड़ने के लिए "एंटी रेडिकल फ्रंट' बनाने का भी ऐलान किया गया।

    नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। देश में विभिन्न स्थानों पर धर्म के नाम पर हिंसा और उदयपुर में कन्हैया लाल (Kanhaiya Lal) जैसी कई नृशंस हत्याओं से बढ़ती हिंदू-मुस्लिम के बीच कटुता की खाई को पाटने खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Ajit Dobhal)आगे आए। उन्होंने कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित अंतरराधार्मिक सम्मेलन में न सिर्फ धार्मिक गुरुओं के साथ मंच साझा किया, बल्कि ऐसे लोगों के विरोध में मजबूती से और एकजुटता के साथ खड़ा होने का संदेश दिया जो देश को धर्म के नाम पर लड़ाने व बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

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    विशेष बात कि उनकी मौजूदगी में इस सम्मेलन में पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) (Popular Front of India) व उस जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया तथा "सर तन से जुदा' नारे को गैरइस्लामिक बताते हुए इसका उल्लेख करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की गईं।

    इसका आयोजन आल इंडिया सूफी सज्जादानशीं काउंसिल (एआइएसएससी) द्वारा किया गया था, जिसमें शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद व इस्लामिक स्कालर सलमान नदवी, जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि समेत 50 से अधिक मुस्लिम, हिंदू, सिख, इसाई व बौद्ध धर्मगुरुओं की मौजूदगी रहीं।

    सम्मलेन में कट्टरवादी ताकतों से लड़ने के लिए "एंटी रेडिकल फ्रंट' (Anti Radical Front) बनाने का भी ऐलान किया गया और ऐसे अंतररधार्मिक सम्मेलन देशभर में कराने का निर्णय लिया गया। डोभाल ने कहा कि देश में चंद लोग ऐसे हैं जो धर्म व किसी खास विचारधारा के नाम पर हिंसा, वैमन्यस्ता और विवाद खड़ा करते हैं।

    वह देश की तरक्की में बाधा खड़ा करना चाहते हैं। उसका प्रभाव देश के अंदर ही नहीं, बल्कि बाहर भी होता है। डोभाल ने स्पष्ट कहा कि ऐसे तत्वों के खिलाफ तमाशबीन बनने और बंद कमरे में ही चिंता जताने से काम नहीं चलेगा, बल्कि देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खुलकर सामने आना होगा। ऐसे तत्वों का मुखर विरोध करना होगा।

    उन्हांने कहा कि इसके लिए सभी अमन पसंद लाेगों को एक साथ जमीन पर उतरकर काम करना होगा। गलतियां है, तो उसे उभारना पड़ेगा। इस संदेश को घर-घर पहुंचाना होगा कि यह हमारा मुल्क है और हमें इसपर फक्र है कि यहां हर कोई धार्मिक रूप से पूरी तरह से स्वतंत्र है।

    आगे उन्होंने कहा कि इसमें सूफी संतों के साथ धार्मिक गुरुओं की बड़ी भूमिका है। इस देश की आजादी के लिए सभी धर्म के लोगों ने कुर्बानियां दी। यह देश सबका है और इसकी अखंडता भी हम सबकी जिम्मेदारी है। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम जन्मभूमि मंदिर को लिए गए फैसले के बाद देश में शांति का माहौल बनाए रखने व वर्ष 2020 में दिल्ली दंगे को शांत कराने में भी अजित डोभाल ने बड़ी भूमिका अदा की थी।

    एआइएसएससी (AISSC) के अध्यक्ष व अजमेर दरगाह के सज्जादानशीं सैयद नसीरूद्​दीन चिश्ती ने कहा कि पीएफआइ समेत जिन भी संगठनों की देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता मिलती है, उनको प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। साथ ही देश को तोड़ने वाले लोगाें के खिलाफ सभी लाेगों को खुलकर साथ आना होगा।

    निजामुद्​दीन दरगाह के सज्जादानशीं फरीद निजामी ने कहा कि हमारे धर्म के भीतर से ही कुछ लोग हैं जो इसे बदनाम करने की कोशिश में लगे हुए हैं। जबकि इस्लाम आपसी भाईचारे और प्यार का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब डोभाल ऐसे मामले में कोई सार्वजनिक मंच साझा किए हो।

    आगे भी उन्होंने साथ आने के लिए आश्वस्त किया है। इसकी बहुत जरूरत है। सलमान नदवी ने कहा कि कोई भी मजहब तोड़ने का नहीं, बल्कि जोड़ने का संदेश देता है, लेकिन कुछ है जो इसके नाम पर जालिम बने हुए हैं।