Yoga Day 2020: जो काम डॉक्टर नही कर पाए वह योग ने कर दिखाया, 'सोरायसिस' जैसी बीमारी हुई ठीक
कई शोध से पता भी चलता है कि जहां दवाइयां अपना असर दिखाने में नाकाम रही हैं वहां योग ने अपना जादू दिखाया है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। भारतीय योग का डंका आज पूरे विश्व में बज रहा है। शरीर को स्वस्थ व निरोग बनाए रखना, शरीर के असाध्य रोगों को बिना औषधि से ठीक करना, मन को तनाव मुक्त करके शांति स्थापित करना, चेतना को उर्ध्वगामी बनाकर परमात्मा के साथ साक्षात्कार करना आदि योग के अनेक उद्देश्य है। योग हमारी जिंदगी के कई मायनों में अपना एक अलग ही स्थान रखता है, चाहे फिर वो रोगों से मुक्त होने के लिए हो या फिर सुगम व स्वस्थ्य जिंदगी कायापन करना हो।
कई शोध से पता भी चलता है कि जहां दवाइयां अपना असर दिखाने में नाकाम रही हैं वहां योग ने अपना जादू दिखाया है। ठीक एक ऐसा ही जीता जागता उदाहरण है शकरपुर निवासी तुनश्री का जिन्होंने योग के माध्यम से सोरायसिस (त्वचा रोग) को मात दी है।
योग करने से मिली राहत
तनुश्री बताती हैं कि वह मूल रूप से बिहार की रहने वाली हैं यहां दिल्ली के शकरपुर में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के लिए पढ़ाई कर रही हैं। बचपन में ही त्वचा रोग बीमारी की जद में आ गई थी, कई बड़े एमबीबीएस डॉक्टरों से इलाज करवाया, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। एक दिन अखबार में योग के बारे में पढ़ा और उस दिन से रोजाना नियम अनुसार त्वचा रोग से संबंधित योगाभ्यास करना शुरू कर दिया। रोजाना नियमित रूप से अभ्यास करने से शरीर में कुछ सुधार होने लगा।
अन्य लोगों को भी योग करने की सलाह
त्वचा पहले के मुकाबले काफी ठीक होती चली गई, अब इस बीमारी को योग से पूरी तरह ठीक कर लिया है। साथ ही उन्होने बताया कि एक लड़की को त्वचा रोग होता है तो उससे कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता। भविष्य में त्वचा रोग से पीड़ित लड़की परेशानी न हो इसके लिए घर के पास नित्यम योग सेंटर में रोजाना योग के माध्यम से अन्य लोगों को भी त्वचा रोग को ठीक करने के योग क्रियाएं समझा रही हूं।
इस प्रकिया को अपनाकर कई लोग भी ठीक हो गए है। कोरोना वायरस के चलते करीब तीन महीनें से सेंटर बंद है लेकिन ऑनलाइन के माध्मय से लोगों को रोग से निरोग होने की क्रिया बताती हूं।
कैसे होता है सोरायसिस (त्वचा रोग)
तनुश्री बताती है कि जिस तरह हमारे नाखून और बाल बढ़ते हैं, ठीक वैसे ही त्वचा भी बदलती है। आमतौर पर नई त्वचा महीने भर में बदलती है लेकिन त्वचा रोग प्रभावित हिस्से में त्वचा तीन से चार दिन में ही तेजी से बदलती है और उभरी हुई महसूस होती है। रोग के चलते त्वचा इतनी कमजोर और हल्की पड़ जाती है कि वो बनने से पहले ही खराब होने लगती है। इससे प्रभावित त्वचा पर लाल चकते और रक्त की बूंदें दिखाई देने लगती है।
क्या खाएं और क्या नहीं
तुनश्री बताती है कि साबुत अनाज, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, अदरक, अजवाइन, दालें, करेले का जूस, बीज, नट्स का अधिक सेवन करें। अल्कोहल, सिगरेट, डेयरी प्रॉडक्ट्स, जंक फूड, ट्रांस फैट फूड्स, रेड मीट, ग्लूटेन आहार और खट्टी चीजें ना खाएं।
भरपूर पानी पीएं
दिनभर में कम से कम आठ से नौ गिलास जरूर पीएं। इससे स्किन में नमी बनी रहती है और वो हाइड्रेट रहती है।
जैतून तेल से मालिश
एक कप जैतून के तेल में कुछ बूदें कंदुला और आर्गेनिक ऑयल की मिक्स करके मसाज करने से भी फायदा होगा।
गुनगुने पानी से स्नान
गुनगुने पानी में सेंधा नमक, मिनरल ऑयल, दूध व जैतून तेल मिक्स करके नहाने से लालीपन, जलन और खुजली कम होगी। नहाने के बाद व सोने से पहले माइश्चराइजर जरूर लगाएं। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लें।
सोरायसिस के लक्षण
- छिल्केदार त्वचा उतरना।
- स्किन पर लाल।
- लाल पपड़ियां जमना।
- कोहनी, घुटनों, कमर पर ड्राईनेस से शुरुआत।
- सर्दियों में स्किन ज्यादा ड्राई होना।
- त्वचा में सूजन, खुजली, जलन और लालीपन।

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