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दिल्ली-NCR में तेजी से बढ़ रहा औद्योगिक प्रदूषण, देशभर में दिल्ली दूसरे तो गुरुग्राम नौवें नंबर पर

औद्योगिक प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि दिल्ली का सीईपीआइ बीते पांच सालों में 20 प्वाइंट तक बढ़ गया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 10:36 PM (IST)
दिल्ली-NCR में तेजी से बढ़ रहा औद्योगिक प्रदूषण, देशभर में दिल्ली दूसरे तो गुरुग्राम नौवें नंबर पर
दिल्ली-NCR में तेजी से बढ़ रहा औद्योगिक प्रदूषण, देशभर में दिल्ली दूसरे तो गुरुग्राम नौवें नंबर पर

नई दिल्ली[संजीव गुप्ता]। राष्ट्रीय राजधानी में औद्योगिक प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि दिल्ली का सीईपीआइ (कांप्रिहेंसिव एनवायरमेंट पॉल्यूशन इंडेक्स) बीते पांच सालों में 20 प्वाइंट तक बढ़ गया है, जिससे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रैंकिंग में औद्योगिक प्रदूषण के मामले में यह देश में दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र का तारापुर पहले नंबर पर तो हरियाणा का गुरुग्राम नौवें और पानीपत ग्यारहवें स्थान पर है।

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दिल्ली को यह रैंकिंग नजफगढ़ ड्रेन बेसिन के आधार पर दी गई है। इसमें आनंद पर्वत, नारायणा, ओखला और वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र भी शामिल हैं। सीपीसीबी द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी गई रैंकिंग रिपोर्ट के मुताबिक 2013 और 2018 के दौरान 100 शहरों के सीईपीआइ स्कोर में काफी बदलाव आया है। नजफगढ़ बेसिन का प्रदूषण स्कोर 2013 में 73.43 प्वाइंट पर था, जो 2018 में बढ़कर 93.69 हो गया है। बता दें कि सीईपीआइ स्कोर में हवा, पानी और मिट्टी के प्रदूषण का आकलन किया जाता है। 2018 में इन सब औद्योगिक क्षेत्र में हवा में प्रदूषण 72, पानी में 89 और मिट्टी में 59.25 प्वाइंट रहा है।

एनसीआर के इन जिलों में स्थिति चिंताजनक

रिपोर्ट के मुताबिक गुरुग्राम 2018 में नौवें पायदान पर रहा है। यहां का प्रदूषण स्कोर 85.15 रहा है। 2013 में यह शहर इस सूची में शामिल नहीं था। भिवाड़ी का प्रदूषण स्कोर इस दौरान 9 प्वाइंट बढ़ा है। 2013 में यह स्कोर 70.63 था, जो 2018 में बढ़कर 79.63 हो गया है। गाजियाबाद में 2013 में 68.71 था, जो अब बढ़कर 72.30 हो गया है। पानीपत का स्कोर 83.54 है और यह 11वें पायदान पर है।

फरीदाबाद और नोएडा में हुआ सुधार

दूसरी तरफ इन पांच सालों में फरीदाबाद में काफी सुधार देखने को मिला है। फरीदाबाद का प्रदूषण स्कोर 11.38 प्वाइंट सुधरा है। 2013 में यहां का प्रदूषण स्कोर 73.55 था, जो 2018 में 62.17 रह गया है। इसी तरह नोएडा के प्रदूषण स्कोर में भी 9.93 प्वाइंट का सुधार हुआ है। 2013 में यहां का स्कोर 78.69 था जो अब कम होकर 68.76 रह गया है।

सीपीसीबी के अनुसार जहां सीईपीआइ स्कोर 70 प्वाइंट या इससे अधिक है, उन्हें क्रिटिकल पॉल्यूटेड एरिया, जहां 60 से 70 फीसद तक है, उन्हें गंभीर प्रदूषित क्षेत्र और जहां स्कोर 60 से नीचे है। उन्हें अन्य प्रदूषित क्षेत्रों में रखा गया है। इसी रिपोर्ट के आलोक में एनजीटी ने हाल ही में आदेश दिए हैं कि क्रिटिकल पॉल्यूटेड एरिया और गंभीर प्रदूषित क्षेत्रों में नई औद्योगिक इकाइयों को बसाने और पुरानी इकाइयों के विस्तार को मंजूरी न दी जाए। साथ ही इन क्षेत्रों में जो औद्योगिक इकाइयां प्रदूषण फैला रही हैं, उन्हें जल्द से जल्द बंद किया जाए।

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