एशिया कप में पाकिस्तान पर जीत के बाद दिल्ली में दूसरी बार भी दिखा सन्नाटा, लोगों ने नहीं मनाया जश्न
एशिया कप में भारत की पाकिस्तान पर जीत के बाद भी दिल्ली की सड़कों पर पहले जैसा उत्साह नहीं दिखा। पहले भारत-पाकिस्तान के मैच के बाद आतिशबाजी और जुलूस आम थे लेकिन इस बार माहौल शांत रहा। लोगों का कहना है कि पहलगाम हमले के बाद वे सतर्क हैं इसलिए जश्न घरों तक ही सीमित रहा। यह बदलाव समाज के बदलते मूड और सुरक्षा परिस्थितियों को दर्शाता है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एशिया कप में भारत ने पाकिस्तान को हराकर जीत दर्ज की, लेकिन इस ऐतिहासिक पल पर राजधानी दिल्ली की सड़कों पर वो रौनक और जश्न देखने को नहीं मिला, जो पहले भारत-पाकिस्तान के मुकाबलों के बाद आमतौर पर दिखता था। यह लगातार दूसरी बार है जब भारत की जीत के बावजूद दिल्ली की गलियां खामोश रहीं।
पहले भी जब भारत ने पाकिस्तान को हराया था, तब आतिशबाजी, मिठाई बांटने और सड़कों पर जुलूस जैसी तस्वीरें आम थीं। खासकर तिरंगे के साथ लोग विजय उत्सव मनाते दिखाई देते थे। लेकिन इस बार हालात बिल्कुल अलग रहे। शहर में कहीं से भी जश्न की झलक नहीं दिखी। न सड़कों पर आतिशबाजी हुई और न ही मोहल्लों में मिठाई बांटी गई।
लोगों का कहना है कि माहौल बदल गया है। लोगों में उत्साह जरूर है, लेकिन वे इसे खुलकर व्यक्त नहीं कर रहे। पहलगाम हमले और आपरेशन सिंदूर के बाद लोग शायद सतर्क भी हैं। यही वजह है कि क्रिकेट की जीत पर जोश-खरोश इस बार घरों की चारदीवारी तक ही सीमित रहा।
यह बदलाव समाज के मूड को भी दर्शाता है। सुरक्षा और सामाजिक परिस्थितियां अब लोगों के व्यवहार पर असर डाल रही हैं। हालांकि, देशवासियों के लिए भारत की जीत अब भी गर्व का विषय है। फर्क बस इतना है कि जश्न का तरीका बदल गया है बाहर की जगह अब घर के अंदर।
पहले जब भी भारत पाकिस्तान को हराता था तो सड़कों पर जश्न का माहौल बन जाता था। लेकिन पड़ोसी मुल्क से जीत की खुशी तो हैं लेकिन क्रिकेट मैच से पहले देश के साथ हूं। हम लोग बस अपने-अपने परिवार तक ही खुशी साझा करते हैं। - वैभव कौशिक
जश्न मनाने का मन तो था, लेकिन माहौल को देखते हुए लोग सड़कों पर नहीं निकले। हालांकि, घर में परिवार के साथ टीवी के सामने बैठकर जीत का आनंद जरूर लिया। - रंजन
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