Indian Postman : कोरोना काल में भी हर संदेश को उसकी मंजिल तक पहुंचाया
कोरोना महामारी के दौरान जान पर खेलकर डाकियों ने लोगों के घरों तक डाक पहुंचाकर अपना फर्ज निभाया। इस बीच कई डाकिया संक्रमण की चपेट में भी आए तो कइयों ने ...और पढ़ें

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। कोरोना महामारी के दौरान जान पर खेलकर डाकियों ने लोगों के घरों तक डाक पहुंचाकर अपना फर्ज निभाया। इस बीच कई डाकिया संक्रमण की चपेट में भी आए तो कइयों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन लोगों को उनके अपनों का संदेश पहुंचाने का जज्बा ऐसा था कि वे डटे रहे। डाकियों ने कोरोना की दूसरी लहर के खौफनाक मंजर के बीच वर्क फ्राम होम करने के चलते गांव चले गए लोगों तक उनका डाक पहुंचाने का काम किया। उन्होंने खुद ही नए पते पर दोबारा से डाक भेजने का काम किया, जिसके लिए अधिकारियों से लेकर मंत्री ने उनकी तारीफ की। दिल्ली के सबसे पुराने गोल डाकघर से तीन हजार से अधिक लोगों की डाक देशभर में दोबारा भेजी गई।
नई दिल्ली इलाके में डाक पहुंचाने वाले डाकिया राजवीर सिंह ने बताया कि कोविड-19 के दौरान ड्यूटी करना उनके कैरियर में सबसे चुनौती भरा रहा है। लोगों के अंदर इतना डर था कि वह जब उनकी डाक लेकर घरों तक पहुंचते थे तो लोग उसे लेने तक से मना कर देते थे। सबसे मुश्किल काम कालोनियों और सोसायटी में रहने वाले लोगों के घर तक डाक और दवा पहुंचाने का था, जिसमें गार्ड उन्हें अंदर ही नहीं जाने देते थे। उनसे कई बार झगड़ा तक हो जाता था।
गोल डाकखाना के डाकिया विजय कुमार ने बताया कि निदेशक दुष्यंत मुदगल और सहायक निदेशक बाल किशन ने उन्हें आदेश दिया था कि डाकघर में दवा और पीपीई किट वाले डाक को सबसे पहले पहुंचाने का काम करना है। ऐसे में वे लेडी हार्डिग अस्पताल व डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल समेत कई निजी अस्पतालों तक पीपीई किट, दवा, इंजेक्शन और अन्य संबंधित सामग्री पहुंचाने का काम किया। इस दौरान वह संक्रमित भी हो गए थे, लेकिन दो सप्ताह बाद फिर अपनी ड्यूटी पर लौट आए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली से अधिकतर कर्मचारी अपने गांव लौट गए थे, जिनके पते पर डाक लेकर पहुंचे तो वे मौके पर नहीं थे। ऐसे में पहली बार लोगों के नए पते पर डाकियों ने डाक पहुंचाने का काम किया, जो इससे पहले कभी नहीं किया गया था।
बाल किशन (सहायक निदेशक, गोल डाकघर नई दिल्ली) कहना है कि कोरोना काल में डाक विभाग ने लोगों तक उनके संदेश व सामान को पहुंचाने का काम किया है। पुलिस के साथ समन्वय बैठाकर थानों की डाक देने का काम किया। वहीं, यातायात के साधन बंद होने के बाद भी डाकियों ने समय से लोगों की डाक और दवाएं पहुंचाने का काम किया।

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