Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    JNU में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा - मैं अगस्त 2027 में सेवानिवृत्त हो जाऊंगा, यदि ईश्वर ने चाहा...

    Updated: Thu, 10 Jul 2025 10:41 PM (IST)

    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय ज्ञान और संस्कृति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक शक्ति के रूप में प्रगति के लिए अपनी बौद्धिक परंपराओं को मजबूत करना आवश्यक है। कार्यक्रम में विद्वानों ने भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित करने पर अपने विचार व्यक्त किए।

    Hero Image
    भारतीय ज्ञान परंपरा पर पर आयोजित कार्यशाला में बोले उपराष्ट्रपति।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) पर आयोजित प्रथम वार्षिक अकादमिक सम्मेलन के उद्घाटन किया।

    इस दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं सही समय पर सेवानिवृत्त हो जाऊंगा, अगस्त 2027 में, अगर ईश्वर की इच्छा रही।” धनखड़ का उपराष्ट्रपति के रूप में पांच वर्ष का कार्यकाल 10 अगस्त, 2027 को पूरा होगा।

    उन्होंने कहा कि पश्चिमी अवधारणाओं को सार्वभौमिक सत्य के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह केवल व्याख्या की त्रुटि नहीं थी, बल्कि यह मिटाने और नष्ट करने की एक सुनियोजित प्रक्रिया थी।

    बौद्धिक व सांस्कृतिक गरिमा का उत्थान भी आवश्यक

    उन्होंने कहा, भारत का वैश्विक शक्ति के रूप में उदय तभी सार्थक होगा जब उसके साथ उसकी बौद्धिक और सांस्कृतिक गरिमा का भी उत्थान होगा।

    किसी राष्ट्र की ताकत उसके विचारों की मौलिकता, मूल्यों की शाश्वतता और बौद्धिक परंपराओं की दृढ़ता में होती है। यही स्थायी साॅफ्ट पावर है, जिसकी आज वैश्विक पटल पर सबसे अधिक आवश्यकता है।

    उन्होंने कहा कि इस्लामी आक्रमण से भारतीय विद्या परंपरा की गौरवशाली यात्रा में पहला व्यवधान आया, जब विनम्रता और आत्मसात के बजाय तिरस्कार और विध्वंस हुआ।

    अंग्रेजों ने भारतीय ज्ञान प्रणाली को बधित किया

    जबकि, ब्रिटिश उपनिवेशवाद में हमारी ज्ञान प्रणाली को बाधित और हमारे शिक्षा केंद्रों का लक्ष्य बदल गया। साधुओं और मनीषियों को जन्म देने वाले संस्थान बाबू और क्लर्क पैदा करने लगे। हम चिंतन, मनन और लेखन छोड़कर रटने और दोहराने लगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने पर जोर देते हुए कहा कि संस्कृत, तमिल, पाली, प्राकृत जैसी सभी शास्त्रीय भाषाओं के ग्रंथों का डिजिटलीकरण कर व्यापक शोध के लिए उपलब्ध कराना अत्यावश्यक है।

    उन्होंने श्रेष्ठतम विचारों के लिए विचारक मैक्स मूलर द्वारा भारत की धरती का उल्लेख करते हुए कहा कि यह शाश्वत सत्य का ही प्रतिपादन था।

    पिछले 11 वर्ष में भारतीय ज्ञान परंपरा का पुनरुत्थान हुआ

    विशिष्ट अतिथि केंद्रीय पोर्ट, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारतीय ज्ञान परंपरा का ऐतिहासिक पुनरुत्थान हुआ है।

    अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से लेकर आयुष की वैश्विक मान्यता तक, हमारे वैदिक विज्ञान, आयुर्वेद, दर्शन और समुद्री ज्ञान विद्यार्थियों को एक समग्र और उपनिवेश-मुक्त दृष्टिकोण प्रदान कर रहे हैं।

    स्वागत भाषण देते हुए कुलपति प्रो. शांतिश्री डी पंडित ने कहा कि राजनीतिक शक्ति के लिए नैरेटिव शक्ति चाहिए। इसलिए बौद्धिक वर्ग का महत्व अत्यधिक है और उच्च शिक्षा संस्थानों का यह कर्तव्य बनता है। यह सम्मेलन भारतीय ज्ञान परंपराओं के व्यवस्थित अध्ययन का आधार बनेगा।

    आइसा ने की प्रदर्शन की कोशिश

    आईकेएस कार्यशाला में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सम्मिलित होने के दौरान आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने प्रदर्शन किया। जेएनयूएसयू के पदाधिकारी पिछले 14 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

    जेएनयू प्रवेश परीक्षा बहाल करने, छात्रों पर लगे फाइन हटाने, छात्रावास विस्तार, छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी जैसी मांगें कर रहे हैं। इसी के लिए उन्होंने उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम में प्रदर्शन करने की कोशिश की। लेकिन, उन्हें पहले ही रोक लिया गया।

    comedy show banner
    comedy show banner