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    IMD 150th Foundation Day: 80 हजार लोगों की मौत और अकाल के बाद हुआ था IMD का गठन, जानिए कैसा है 150 सालों का सफर?

    Updated: Mon, 15 Jan 2024 02:37 PM (IST)

    आइएमडी के महानिदेशक डा मृत्युंजय महापात्रा कहते हैं कि 19वीं सदी के अंत में कोलकाता बंदरगाह पर चक्रवात की चेतावनी जारी करने से लेकर मोबाइल फोन पर नाउ कास्ट जारी करने तक मौसम विभाग ने लंबा सफर तय किया है। गौरतलब है कि आइएमडी सोमवार को पंचायत मौसम सेवा के लांच के साथ अपनी 150वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत करेगा।

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    IMD 150th Foundation Day: 80 हजार लोगों की मौत और अकाल के बाद हुआ था IMD का गठन

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। आज हमारे पास मौसम और इसके पूर्वानुमान से संबंधित हर जानकारी हर समय उपलब्ध हो जाती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि मौसम विज्ञान विभान (आइएमडी) का गठन 80 हजार लोगों की मौत और अकाल के बाद हुआ था। दरअसल, सन 1864 में बंगाल की खाड़ी में आए दो भयानक चक्रवातों में 80,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

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    सन 1875 में हुई थी शुरुआत

    तत्कालीन ब्रिटिश शासकों के व्यापारिक जहाज डूब गए थे। उसके बाद आए अकाल ने खासा नुकसान किया था। तब एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल के विज्ञानियों के अनुरोध पर आइएमडी का गठन किया गया था।

    यूं भारत की पहली मौसम वेधशाला सन 1793 में चेन्नई में हुई थी, लेकिन औपचारिक रूप से आइएमडी तब स्थापित हुआ, जब हेनरी एफ ब्लैनफोर्ड ने 15 जनवरी 1875 को पहले इंपीरियल मौसम रिपोर्टर के रूप में कार्य भार संभाला था।

    'पंचायत मौसम सेवा' लांच

    19वीं सदी के अंत में कोलकाता बंदरगाह पर चक्रवात की चेतावनी जारी करने से लेकर मोबाइल फोन पर नाउ कास्ट जारी करने तक, मौसम विभाग ने लंबा सफर तय किया है। गौरतलब है कि आइएमडी सोमवार को 'पंचायत मौसम सेवा' के लांच के साथ अपनी 150वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत करेगा।

    डॉ. मृत्युंजय महापात्रा, आइएमडी के महानिदेशक 

    इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा एक डाक टिकट, मौसम एप और डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) की भी शुरुआत की जाएगी। महापात्रा कहते हैं, "पुराना संगठन होने के नाते आइएमडी के पास 1901 से मौसम का डेटा है जिसे अब डिजिटल कर दिया गया है। आज हम न केवल पृथ्वी की सतह बल्कि ऊपरी वायुमंडल में, समुद्र, पहाड़ी इलाकों और रेगिस्तान जैसे दूरदराज के इलाकों में भी एक बहुत ही विस्तारित अवलोकन प्रणाली लेकर आए हैं।

    कंप्यूटिंग सिस्टम को भी अपग्रेड कर रहा IMD

    महापात्रा ने कहा कि मौसम विभाग अपनी संख्यात्मक माडलिंग क्षमता में सुधार के लिए अपने उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सिस्टम को भी अपग्रेड कर रहा है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सिस्टम खरीदने की प्रक्रिया में है। इससे हमारी क्षमता 10 पेटाफ्लाप्स से बढ़कर 30 पेटाफ्लाप्स हो जाएगी। तेज़ सुपर कंप्यूटर आइएमडी को सेक्टर और स्थान-विशिष्ट उत्पन्न करने में मदद करेंगे।

    12 KM है मौसम माडलिंग प्रणाली का रिजोल्यूशन 

    उन्होंने कहा, "वर्तमान में, मौसम माडलिंग प्रणाली का रिज़ोल्यूशन 12 किलोमीटर है। लक्ष्य इसे छह किलोमीटर करने का है। क्षेत्रीय माडलिंग प्रणाली के रिज़ॉल्यूशन को तीन किलोमीटर से एक किलोमीटर तक सुधारा जाएगा।" महापात्र ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आइएमडी द्वारा जारी प्रारंभिक चेतावनियों और पूर्वानुमानों में सुधार हुआ है और चक्रवातों और भारी बारिश के कारण मानव जीवन की बहुत कम हानि हुई है।

    भविष्य में पूर्वानुमान को और बेहतर बनाने के लिए एआइ के उपयोग की भी योजना है।" महापात्र ने कहा कि आइएमडी ने एआइ को लेकर विशेषज्ञ समूह का गठन किया है और उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए एनआइटी, आइआइटी, आइआइआइटी, शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के साथ भी सहयोग कर रहा है, जिसका उपयोग पूर्वानुमान सटीकता और क्षेत्रीय अनुप्रयोगों में सुधार के लिए किया जा सकता है।

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