भारत में हीटस्ट्रोक और गर्मी से होने वाली मौतों का कोई विश्वसनीय डेटा नहीं होने पर विशेषज्ञों ने जताई चिंता
क्लाइमेट ट्रेंड्स के इंडिया हीट समिट 2025 में विशेषज्ञों ने भारत में हीटस्ट्रोक से होने वाली मौतों के विश्वसनीय डेटा की कमी पर चिंता जताई। इसके साथ ही उन्होंने मृत्यु रिपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत करने बेहतर डेटासेट की उपलब्धता और हीट एक्शन प्लान में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।

राज्य ब्यूरो, जागरण . नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि भारत में हीटस्ट्रोक और गर्मी से होने वाली मौतों पर कोई विश्वसनीय डेटा नहीं है। वजह, डेटा रिपोर्टिंग सिस्टम पूरे देश में समान रूप से मजबूत नहीं है।
गैर सरकारी संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स की ओर से आयोजित इंडिया हीट समिट 2025 में अत्यधिक गर्मी के प्रभाव के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि मौतें तो महज एक पहलू हैं।
हम जलवायु संबंधी खतरों या गर्मी के कारण होने वाली सभी मौतों की पूरी तरह से गणना नहीं करते हैं, क्योंकि रिपोर्टिंग सिस्टम पूरे देश में समान रूप से मजबूत नहीं हैं।
मौतों की रिपोर्टिंग के सिस्टम को मजबूत करने पर दिया गया जोर
स्वामीनाथन ने कहा कि मृत्यु रिपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत करने की आवश्यकता है। सरकार और नीति निर्माताओं के लिए यह जानने का सबसे अच्छा स्रोत है कि लोग किस कारण से मरते हैं।
सरकारी नीतियों में भी इस बात का उल्लेख होना चाहिए। उन्होंने एक पर्यावरणीय स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना का भी आह्वान किया, जहां स्वास्थ्य, पर्यावरण और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय एक साथ मिलकर डेटा साझा कर सकें।
पर्यावरणविद चांदनी सिंह ने कहा कि गर्मी से होने वाली मौतों को कैसे दर्ज किया जाता है, इसमें चुनौतियां हैं और संदर्भ के लिए कोई अच्छा डेटासेट नहीं है। उन्होंने चिंता जताई कि वर्तमान में, हीटस्ट्रोक और गर्मी से संबंधित मौतों पर राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रतिनिधि डेटा नहीं है।
हीट एक्शन प्लान सिर्फ अधिकारियों पर ही छोड़ा जाए तो नहीं होगा सफल
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कृष्ण वत्स ने कहा कि देश में शैक्षणिक या तकनीकी केंद्र नहीं है, जो जिलों और शहरों को गर्मी से निपटने के लिए कार्ययोजना तैयार करने में मदद कर सकें।
उन्होंने कहा कि हमारे पास सभी ज्ञान और विशेषज्ञता का प्रसार करने के लिए एक निर्दिष्ट, उचित उत्कृष्टता केंद्र भी नहीं है।
कहा कि यदि हीट एक्शन प्लान का कार्य केवल अधिकारियों पर छोड़ दिया जाए तो यह बहुत सफल नहीं होगा। इसमें अधिक सहायता और तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। इस दौरान शुष्क लू और उमस भरी लू के लिए भी अलग-अलग प्लान बनाने की मांग उठी।
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