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कृषि के क्षेत्र में अहम है भारत व इजरायल की दोस्ती, ये रिश्ता है पुराना

भारत और इजरायल के आपसी सहयोग का नतीजा है कि आज भारत भी संरक्षित कृषि के क्षेत्र में काफी कुछ कर रहा है। सिंचाई के क्षेत्र में इजरायल को महारथ हासिल है।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 04:47 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 09:57 PM (IST)
कृषि के क्षेत्र में अहम है भारत व इजरायल की दोस्ती, ये रिश्ता है पुराना

नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारतीय कृषि में नई क्रांति लाने का प्रस्ताव दिया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार भी कर लिया। भारत और इजरायल के बीच कृषि क्षेत्र में आपसी सहयोग की मजबूत नींव तब डाली गई थी, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे।

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कृषि से जुड़ी कई तकनीकों का हुआ विकास 

पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में स्थापित संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र इस सहयोग की मिसाल है। देश में संरक्षित कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इजरायल व भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में वर्ष 1998 में संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र से जुड़ी योजना की शुरुआत हुई थी। यह केंद्र वर्ष 2000 में बनकर तैयार हो गया। केंद्र की स्थापना के बाद भारतीय परिस्थितियों में संरक्षित कृषि से जुड़ी कई तकनीकों का विकास हुआ। इन तकनीकों का लाभ देश के विभिन्न राज्यों के किसानों ने खूब उठाया।

कृषि के मामले में विश्व का अग्रणी राष्ट्र

पूसा स्थित संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र की प्रभारी तथा प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नीलम पटेल बताती हैं कि इस केंद्र की स्थापना तब हुई थी जब हमारे देश के लिए संरक्षित कृषि एक नई बात थी। इजरायल तब इस संरक्षित कृषि के मामले में विश्व का अग्रणी राष्ट्र था। यहां स्थापित केंद्र के माध्यम से दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने संरक्षित कृषि के क्षेत्र में कई तकनीकों पर कार्य किया।

अनुभवों का लाभ उठाया

डॉ. नीलम पटेल ने बताया कि दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने एक दूसरे के अनुभवों का लाभ उठाया। इस आपसी सहयोग का नतीजा यह हुआ कि आज भारत भी संरक्षित कृषि के क्षेत्र में काफी कुछ कर रहा है। अभी भी सिंचाई के क्षेत्र में इजरायल को काफी महारथ हासिल है। सिंचाई की परंपरागत तकनीक में जहां पानी काफी मात्रा में खर्च होता है वही आजकल कई ऐसी तकनीके हैं (ड्रिप, स्प्रिंकलर) जिनमें उतना ही पानी खर्च होगा जितना फसल को जरूरत है। इजरायल इन तकनीको में दक्ष है।

क्या है संरक्षित कृषि

साधारण भाषा में यदि कहा जाए तो ऐसी खेती जो हर परिस्थितियों में की जा सके व उत्पाद को विविध आपदाओं से सुरक्षित रखती हो संरक्षित कृषि कहलाती है। आमतौर पर ऐसी खेती पॉलीहाउस में की जाती है, लेकिन इसे लगाने से जुड़ी तकनीक थोड़ी महंगी है। इसका एक सबल पक्ष यह है कि भले ही यह तकनीक महंगी हो, लेकिन एक बार इस तकनीक के लिए जरूरी ढांचे का निर्माण हो जाए तो यह कई वर्षों तक चलता है। इसके अलावा इसमें आम खेती की तुलना में एक चौथाई से भी कम जमीन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इतनी ही जमीन में पैदावार पांच से छह गुणा तक अधिक हो जाती है।

लाभदायक है संरक्षित कृषि की योजना

संरक्षित कृषि से प्राप्त पैदावार गुणवत्ता के मामले में सभी उत्पादों से बेहतर होता है। ये उत्पाद महंगे होते हैं, इसलिए इसकी मांग उच्च आय वर्ग के लोगों में ही होती है। खासकर दिल्ली में जमीन की बढ़ती कीमतों के कारण व सरकारी उपेक्षा के कारण जहां परंपरागत खेती की ओर किसानों का रुझान पहले के मुकाबले कम होता जा रहा है वहां संरक्षित कृषि की योजना काफी लाभदायक हो सकती है। 

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