Independence Day: अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का केंद्र था चांदनी चौक, 9 अगस्त को झंडा फहराने का इतिहास है गजब
चांदनी चौक वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का ऐतिहासिक गवाह है। कटरा नील टाउन हाल नई सड़क जामा मस्जिद दरीबाकलां और खारी बावली समेत अन्य इलाकों में दुका ...और पढ़ें

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। चांदनी चौक वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का ऐतिहासिक गवाह है। कटरा नील, टाउन हाल, नई सड़क, जामा मस्जिद, दरीबाकलां और खारी बावली समेत अन्य इलाकों में दुकानें बंद कर हड़ताल व प्रदर्शनों का दौर था। उस दौरान पुलिस से झड़प आम बात थी।
''अंग्रेजों भारत छोड़ो'' का नारा लगाते लोगों पर ब्रिटिश सेना और पुलिस डंडे बरसा रही थी, लेकिन देश को आजाद कराने का जज्बा लेकर घरों से निकले युवाओं का जत्था कम नहीं हो रहा था। जगह-जगह लोगों की बैठकें चल रही थीं और पुलिस गिरफ्तारियां कर रही थी।
महात्मा गांधी का था झंडा फहराने का निर्देश
आखिरकार दमनकारी पुलिस और सेना के जवानों की बंदूकें गोलियां बरसाने लगीं। कटरा नील के बाहर ऐसे प्रदर्शन में जुटे कई लोग घायल हुए तो कई युवाओं की जान चली गई। माहौल तनावपूर्ण था, पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का निर्देश था कि चांदनी चौक में तिरंगा जरूर फहराया जाए और लोग इसमें सफल हुए।
टाउन हाल में फहराया झंडा
टाउन हाल पर नौ अगस्त को अरुणा आसफ अली के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने तिरंगा फहराया था। उस आंदोलन की याद में यहां हर वर्ष नौ अगस्त को तिरंगा फहराया जाता है। इस वर्ष भी मंगलवार को भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर ध्वजारोहण कार्यक्रम होगा।
नील कटरा के बाहर लगी पट्टिका उस आंदोलन की याद दिलाता है। आजादी के परवानों का वह दौर ही अलग था। तब दिल्ली का मतलब दीवारों के भीतर बसी पुरानी दिल्ली ही थी। यह आंदोलनकारियों का केंद्र था। जगह-जगह बैठकें, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और दासता से मुक्ति की युक्ति बनाई जा रही थी।
गांधी जी ने दिया अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन
उसी में आठ अगस्त 1942 की पूर्व संध्या को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया। महात्मा गांधी ने ही तय किया कि आठ अगस्त को मुंबई में तो नौ को चांदनी चौक के टाउन हाल पर तिरंगा फहराया जाएगा।
पूर्व सांसद व दिल्ली कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल बताते हैं कि कुछ समय पहले लार्ड हार्डिंग पर नील कटरा के सामने लाला हनुमत सहाय द्वारा बम फेंकने की घटना हुई थी, उसके बाद से ही पुरानी दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी और अंग्रेज अधिकारियों द्वारा हर गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी।
अंग्रेजों ने तैनात किया पुलिस बल
उसमें टाउन हाल पर तिरंगा फहराने की तैयारी की जानकारी मिलते ही अंग्रेजों ने टाउन हाल के आसपास भारी संख्या में पुलिसबल तैनात कर दिया और घोषणा कर दी कि यहां झंडा नहीं फहराया जाएगा, जो भी फहराएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन आजादी के दीवाने कहां मानने वाले थे।
अरुणा आसफ अली ने झंडा फहराने के कार्यक्रम की बागडोर अपने हाथ में ले ली और नौ अगस्त को टाउन हाल के सामने पहुंच गईं। आसपास पहले से ही रामचरण अग्रवाल, कुंदन लाल शर्मा, वीर मुस्ताक अहमद, प्रेमजस राय, मोहन भाई, मेमू बहन, तुलसी राम सेठ, लाला ओमकार नाथ व राधारमन मौजूद थे और जैसे ही अरुणा आसफ पहुंचीं।
सभी जुटते हुए तिरंगा को फहराया दिया। वहीं, नील कटरा के बाहर नानक चंद्र मिश्र, राजेन्द्र नाथ मेहरा और उनके साथियों ने चुन्नामल की हवेली के सामने अंग्रेजी पुलिस से लोहा लिया, नानक समेत कई लोग घायल हुए और कई शहीद भी हुए। जो बचे उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।

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