मानसून में कान में इंफेक्शन के मरीज बढ़े, ज्यातातर को कान में दर्द, सुनने में दिक्कत और फंगल इंफेक्शन की शिकायत
दिल्ली में मानसून के आगमन के साथ ही कान के संक्रमण के मामलों में वृद्धि देखी गई है। रोहिणी के अंबेडकर अस्पताल में कान दर्द सुनने में दिक्कत और फंगल इंफेक्शन की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की संख्या 10-15 प्रतिशत तक बढ़ गई है। डॉक्टरों ने कान की समस्याओं को गंभीरता से लेने और स्वयं उपचार न करने की सलाह दी है।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। वर्षा के मौसम की शुरुआत और उमस बढ़ने के साथ ही लोगों की कान की तकलीफ भी बढ़ने लगी है। कान में मैल जमने, ब्लाॅकेज, सुनने में कमी और इंफेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इस तरह की तकलीफ के साथ ओपीडी आने वाले मरीजों की संख्या में 10 से लेकर 15 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है। फंगल इंफेक्शन (आटो माइकोसिस) के भी कई मामले सामने आए हैं। चिकित्सकों ने आगाह किया है कि इस मौसम में कान की तकलीफ को हल्के में न लें।
ओपीडी में उमड़ रही मरीजों की भीड़
रोहिणी के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल की इनएनटी (कान, नाक व गला) विभाग की ओपीडी में इन दिनों मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। अस्पताल पहुंचने वाले ज्यादातर मरीजों को कान में सख्त रूप में मैल जमने (हार्ड वैक्स), ब्लाकेज, कान दर्द और सुनने की कमी की तकलीफ पाई गई।
इएनटी विभागाध्यक्ष डा. पंकज कुमार ने बताया...
''वर्षा व उमस के कारण कान में इस तरह की तकलीफ बढ़ जाती हैं। इस मौसम में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। फंगल इंफेक्शन में कान में काला व सफेद रंग का पदार्थ व मैल जमा हो जाता है। समय रहते इलाज न लेने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।''
इन वजहों से हो रही कान में दिक्कत
उन्होंने बताया कि एलर्जी पीड़ित लोगों इस मौसम में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। वर्षा के मौसम में एलर्जी के मरीजों को हरी घास व अन्य वजहों से क्रोनिक राइनाटिस (तेजी से नाक बहना) की तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है।
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ये सावधानी बरतें...
- कान का मैल स्वयं निकालने की कोशिश न करें, कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है
- सरसों व नारियल तेल और गुलाब जल कान में न डालें
- फंगल व अन्य इंफेक्शन हैं तो विशेषज्ञ डाक्टर से कान की सफाई कराएं
- एलर्जी पीड़ित मास्क का प्रयोग करें
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