IIT Delhi: भाषण से अनुवाद, स्मार्ट छड़ी व पानी रहित टायलेट बना प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र
आइआइटी बांबे ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे अंग्रेजी के भाषण का साथ के साथ अनुवाद हिंदी मराठी हिंदी से मराठी में किया जा सकता है। इसके वेब पेज को ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आइआइटी दिल्ली में आयोजित 23 आइआइटी के शोध व नवाचार की प्रदर्शनी में आइआइटी बांबे का भाषण से अनुवाद, आइआइटी दिल्ली द्वारा दृष्टिबाधितों के लिए निर्मित स्मार्ट छड़ी, पानी रहित टायलेट जैसे नवाचार लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। आइआइटी बांबे ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे अंग्रेजी के भाषण का साथ के साथ अनुवाद हिंदी, मराठी, हिंदी से मराठी में किया जा सकता है। इसके वेब पेज को गूगल पर सर्च करके स्पीच का आवश्यकतानुसार अनुवाद किया जा सकता है। एक तरफ भाषण देने वाले कंटेट का दूसरी साथ के साथ अनुवाद प्राप्त होता रहता है। अभी तीन भाषाओं में यह तकनीक काम कर रही है। इसके अलावा आठ भाषाओं में इसके द्वारा अनुवाद को उपलब्ध कराने पर काम चल रहा है। इनमें बंगाली, तमिल, तेलुगु, उड़िया सहित अन्य भाषाएं शामिल हैं। इसका ऐप विकसित करने पर भी काम चल रहा है।
दृष्टिबाधित लोगों को लिए बनाई गई स्मार्ट छड़ी
इसके साथ ही आइआइटी दिल्ली के छात्रों द्वारा दृष्टिबाधित लोगों को लिए बनाई गई स्मार्ट छड़ी किसी चीज के सामने आने पर कंपन करके बचने का संकते दे देती है। इस छड़ी से दृष्टिबाधित लोग दुर्घटना से बच सकते हैं। आमतौर पर दृष्टिबाधित लोग जब सामान्य छड़ी का चलने के लिए इस्तेमाल करते हैं तो कई बार उनकी छड़ी सामने की चीज के बारे में उनको मार्गदर्शन नहीं कर पाती है। जिससे दुर्घटना हो जाती है। लेकिन स्मार्ट छड़ी किसी भी तरह की वस्तु से टकराने वाली स्थिति आने पर छड़ी में लगे डिवाइस की मदद से हाथ में कंपन पैदा करती है जिससे दृष्टिबाधित व्यक्ति को दुर्घटना से बचने में आसानी होती है। इस छड़ी की कीमत बाजार में तीन हजार रुपये है। यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
पानी रहित टायलेट
इसी तरह आइआइटी दिल्ली के स्टाल पर ही मौजूद पानी रहित टायलेट पानी की खपत को काफी हद तक सीमित करने वाले नवाचार के रूप में लोगों को आकर्षित कर रहा है। इस टायलेट में लगे वाल्व में एक प्लास्टिक की छोटी बाल लगाई गई है। इसमें टायलेट करने के बाद पानी न डालने पर भी दुर्गंध नहीं आती है। इसका कारण यह है कि जो बाल है वह दुर्गंध को पास नहीं होने देती है। इसमें से सिर्फ टायलेट ही पास होता है। इस तरह से पानी की खपत को कम करने में यह टायलेट उपयोगी साबित हो रहा है। आइआइटी के छात्रों का कहना है कि इंडिया इंटरनेशनल सेंटर सहित कई जगहों पर सफलतापूर्वक इन टायलेट का इस्तेमाल हो रहा है। जबकि मौजूद समय में इस्तेमाल किए जा रहे टायलेट में हर समय पानी का प्रवाह रहता है जिससे उनमें पानी की खपत अधिक होती है। साथ ही पानी के अधिक खर्च के बाद भी दुर्गंध की समस्या बनी रहती है।

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