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    अगर आपके गर्दन के पीछे है ये निशान तो आप हो सकते हैं लिवर की गंभीर बीमारी का शिकार

    फोर्टिस सी-डॉक और एम्स के द्वारा किए गए एक अध्ययन में सह बात सामने आई है। इसलिए अध्ययन में शामिल डाक्टर बताते हैं कि यदि डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीजों के गले की त्वचा या शरीर के किसी अन्य हिस्से की त्वचा काली व मोटी होने लगे तो मरीज को लिवर की बीमारी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में लिवर की जांच जरूर करानी चाहिए।

    By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 21 Mar 2024 07:41 PM (IST)
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    अगर आपके गर्दन के पीछे है ये निशान तो आप हो सकते हैं लिवर की गंभीर बीमारी का शिकार।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। डायबिटीज से पीड़ित लोगों के गर्दन के पीछे की त्वचा यदि मोटी व रंग गाढ़ा होने लगे तो उसे हल्के में न लें। डायबिटीज के मरीजों के गर्दन के पीछे गाढ़े रंग की मोटी त्वचा (एकैनथासिस निग्रीकैंस) लिवर की बीमारी के संकेत हो सकते हैं।

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    फोर्टिस सी-डॉक और एम्स के द्वारा किए गए एक अध्ययन में सह बात सामने आई है। इसलिए अध्ययन में शामिल डाक्टर बताते हैं कि यदि डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीजों के गले की त्वचा या शरीर के किसी अन्य हिस्से की त्वचा काली व मोटी होने लगे तो मरीज को लिवर की बीमारी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में लिवर की जांच जरूर करानी चाहिए।

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    गले के पीछे की त्वचा का रंग गाढ़ा या काला

    हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (एलजीवियर जर्नल) में यह शोध प्रकाशित हुआ है। फोर्टिस सी-डाक (डायबिटीज का अस्पताल) के कार्यकारी चेयरमेन डॉ. अनूप मिश्रा ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन के काम नहीं करने के कारण गले के पीछे की त्वचा का रंग गाढ़ा या काला हो जाता है और त्वचा मोटी होने लगती है। कोहनी, घुटने, पेट या शरीर के कुछ अन्य हिस्सों की त्वचा भी ऐसा बदलाव हो सकता है।

    डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित 300 मरीजों पर शोध

    डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित 300 मरीजों पर एक शोध किया गया। इसमें 150 मरीज ऐसे थे जिन्हें डायबिटीज के साथ-साथ त्वचा एकैनथासिस निग्रीकैंस की परेशानी थी। बाकी 150 मरीजों को डायबिटीज तो था लेकिन उन्हें त्वचा की परेशानी नहीं थी। इन सभी मरीजों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), लिवर फंक्शन जांच और फाइब्रो स्कैन से लिवर की जांच की गई। दोनों वर्गों के मरीजों पर तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया कि एकैनथासिस निग्रीकैंस से पीड़ित मरीजों के लिवर में एंजाइम दूसरे वर्ग के मरीजों की तुलना में अधिक थे।

    सिरोसिस में तब्दील होने का खतरा

    फाइब्रो स्कैन का स्कोर भी अधिक था। इसका कारण लिवर में फैट व फाइब्रोसिस होना था। उन्होंने बताया कि लिवर में फाइब्रोसिस होने पर बाद में इसके सिरोसिस में तब्दील होने का खतरा रहता है। इसलिए डायबिटीज टाइप-2 दो पीड़ित मरीजों के गले के पीछे की त्वचा गाढ़ी व मोटी होने लगे तो लिवर की जांच कराकर इलाज करना चाहिए।

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