अलीपुर अग्निकांड: कपड़े, जुराब व हाथों में पहने कड़ों से की अपनों की पहचान, पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजन को सौंपे
Alipur Fire दिल्ली के अलीपुर पेंट फैक्ट्री में लगी भीषण आग में मरने वालों के अपनों ने शवगृह में रखे शवों को कपड़े जुराब जूते व हाथों में पहने कड़े व चूड़ियों से पहचान की और एक महिला समेत आठ मृतकों की पहचान शुक्रवार देर शाम तक हो गई थी। जबकि तीन लोगों की पहचान शनिवार को हुई। वहीं सभी के शव पोस्टमार्टम के बाद स्वजन को सौंप दिए गए।

शमसे आलम, बाहरी दिल्ली। Alipur Fire: अलीपुर पेंट फैक्ट्री में लगी भीषण आग में मरने वालों के अपनों ने शवगृह में रखे शवों को कपड़े, जुराब, जूते व हाथों में पहने कड़े व चूड़ियों से पहचान की।
एक महिला समेत आठ मृतकों की पहचान शुक्रवार देर शाम तक हो गई थी। जबकि तीन लोगों की पहचान शनिवार को हुई। सभी के शव पोस्टमार्टम के बाद स्वजन को सौंप दिए गए।
पैंट देख जीजा ने पंकज को पहचाना
पंकज के जीजा शुभदेस ने बताया कि जहांगीरपुरी स्थित बाबू जगजीवन राम अस्पताल में शुक्रवार की सुबह 6 बजे से ही साले की शिनाख्त के लिए पहुंचे। कई घंटे तक यहां घूमते रहे, लेकिन इस केस के जांच अधिकारी के नहीं आने पर देरी होती चली गई।
शाम करीब चार बजे शव शिनाख्त के लिए शवगृह में पहुंचे। जहां पंकज के शव को पैंट देखकर पहचाना। शाम साढे पांच बजे शव हमें मिला।
जुराब से हुई फैक्ट्री मालिक की शिनाख्त
इस हादसे में जान गंवाने वाले फैक्ट्री मालिक अशोक कुमार की पहचान उनके जुराब से हुई। इनकी बहू शुक्रवार की शाम शवगृह पहुंची। जहां इनका जुराब देख, शव की शिनाख्त की। देर शाम तक पोस्टमार्टम के बाद इनके शव को भी पुलिस ने स्वजन को सौंप दिया।
स्टाल देख बेटी को पहचान रोने लगी मां
इस हादसे में जान गंवाने वाली महिला मीरा की मां कांति देवी ने बेटी के गले में लिपटे स्टाल, चूड़ियां व जूते देख शिनाख्त करते ही शवगृह के बाहर आकर रोने लगी। कांति ने बताया कि बेटी को कुछ दिन पहले ही मैने खरीदकर कुछ सामान दी थी।
जिसको देख हमने बेटी को पहचाना है। चेहरा अधिक झुलसे होने के कारण पहचानना मुश्किल था। मीरा तीन साल से पति से अलग तेरह वर्षीय एक बेटे के साथ किराये के मकान पर रहती थी।
बहन ने जूता देख भाई को पहचाना
राम प्रवेश के शव को उनकी बहन सुनीता ने जूते की कलर से पहचाना। सुनीता ने बताया कि भाई उनके साथ ही रहता था। अक्सर जूता गंदा होने पर वह खुद ही धोती थी। ऐसे में उन्हे जूते के बारे में पूरी जानकारी दी।
हलांकि जूते के ऊपर मिट्टी व धूल होने से पहचानना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। लेकिन हाथों से तुरंत साफ कर, जूते को पहचान गई।
पिता के हाथ में कड़े देख पहचाना
अनिल ठाकुर के शव को उनके बेटे हर्ष ने इनर व हाथ में पहने कड़े से पहचान लिया। हर्ष ने बताया कि शव इतने विकृत हाल में थे कि इसे पहचानना नामुकिन था। इस दौरान इनके दोनों चाचा भी मौजूद थे। शुक्रवार की शाम इन्हें शव सौंप दिया गया।
इस हादसे में 11 लोगों ने जान गंवाई
अशोक कुमार (62) काठ मंडी, सोनीपत हरियाणा
राम सूरत सिंह (44) चौथा पुश्ता, हनुमान मंदिर सोनिया विहार
विशाल गौड (19) कलिजोपुर, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
अनिल ठाकुर (46) विद्यापति नगर, मुबारकपुर, किराड़ी
पंकज कुमार (20) गांव रमुआपुर, जिला लखीमपुर, उत्तर प्रदेश
शुभम (19) गांव गुडियानपुर, जिला गोंडा, उत्तर प्रदेश
मीरी (44) नहेरु एन्क्लेव, अलीपुर
बृज किशोर (19) टेडवा दुल्लापुर, जिला गोंडा, उत्तर प्रदेश
कृपा शंकर (42) गांव दिहा, जिला प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
राम प्रवेश कुमार (18) गांव विसनपुर महेशी, जिला मुजफ्फरपुर, बिहार
हरिश्चंद्र यादव (59) गांव दिहा, जिला प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

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