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    हाइड्रोजन ईंधन : प्रदूषण नहीं, लॉन्ग ड्राइव के लिए एकदम सही; जानें- क्या है इसकी खासियतें

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 24 Mar 2022 03:57 PM (IST)

    अगले कुछ दशकों में सड़कों पर डीजल-पेट्रोल की जगह हाइड्रोजन ईंधन से वाहन दौड़ते दिखाई दें तो हैरान मत होइएगा क्योंकि अब इसकी शुरुआत देश में हो चुकी है। हाल ही में देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल कार टोयोटा मिराई को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया।

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    आइए जानते हैं हाइड्रोजन ईंधन से वाहन कैसे चलता है और यह ईवी से किस तरह अलग है...

    अमित निधि। डीजल-पेट्रोल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और यह दुनिया में असीमित मात्रा में उपलब्ध भी नहीं है। डीजल-पेट्रोल सीमित है, तो फिर ईंधन के रूप में आगे विकल्प क्या है? डीजल-पेट्रोल गाड़ियों के बीच इलेक्ट्रिक गाड़ियों (ईवी) ने धीरे-धीरे अपने लिए रास्ता बनाना शुरू कर दिया है, लेकिन इसकी भी एक सीमा है। अभी लंबी दूरी के लिए इसे बेहतर विकल्प नहीं माना जा रहा है। मगर हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली गाड़ियों के साथ ऐसा नहीं है। हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियां न सिर्फ लंबी दूरी तय कर सकती हैं, बल्कि इसके टैंक को डीजल-पेट्रोल की तरह कुछ मिनटों में ही भरा जा सकता है।

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    टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने इंटरनेशनल सेंटर फार आटोमोटिव टेक्नोलाजी (आइसीएटी) के साथ पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भारत में पहला आल-हाइड्रोजन इलेक्ट्रिक वाहन मिराई लॉन्च किया है। टोयोटा मिराई हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफसीईवी) है। यह शुद्ध हाइड्रोजन से पैदा होने वाली बिजली से चलता है। इसे शून्य-उत्सर्जन वाहन भी माना जाता है, क्योंकि कार के टेलपाइप से सिर्फ पानी का उत्सर्जन होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफसीईवी) लंबी दूरी की यात्रा के लिए काफी उपयुक्त हो सकता है।

    कैसे कार्य करता है हाइड्रोजन वाहन: मोटर व्हीकल की दुनिया में फ्यूल सेल एक नई तकनीक है। मिराई में टोयोटा फ्यूल सेल सिस्टम का उपयोग किया गया है, जो हाइड्रोजन और आक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया से बिजली पैदा करता है। एफसीईवी भी विद्युतीकृत प्रौद्योगिकियों (इलेक्ट्रिफाइड टेक्नोलाजी) के परिवार से संबंधित है, जिसमें प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।

    आपको बता दें कि एफसीईवी में गैसोलीन इंजन के बजाय ईंधन सेल स्टैक और एच2 टैंक का उपयोग किया जाता है। ईंधन सेल एच2 यानी हाइड्रोजन से बिजली पैदा करता है, जो कार को चलाने वाली मोटर को शक्ति प्रदान करता है। इसमें पानी के अलावा कुछ और उत्सर्जित नहीं होता है। खास बात यह है कि जहां इलेक्ट्रिक कार को चार्ज करने में लंबा वक्त लगता है, वहीं हाइड्रोजन कार के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। टोयोटा मिराई की ही बात करें, तो इसके टैंक को करीब पांच मिनट में ही भरा जा सकता है। यह फिलिंग स्टेशन पर गैसोलीन या डीजल के समान होगा। ईंधन को हाई प्रेशर वाले टैंकों में रखा जाता है और इससे फ्यूल सेल स्टैक को चार्ज किया जाता है। हाइड्रोजन ईंधन सेल से चलने वाले वाहन पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक कुशल होते हैं।

    ग्रीन हाइड्रोजन यानी भविष्य का ईंधन: ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन को भविष्य का वाहन कहा जा रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन विशेष रूप से बड़ी कारों, बसों और ट्रकों के लिए उपयुक्त हो सकता है। खास बात यह है कि यह मध्यम से लंबी दूरी के लिए विकल्प के रूप में उभर रहा है। आटोमोटिव ईंधन के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन पर दुनियाभर में तेजी से कार्य हो रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन को स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा के भविष्य के तौर पर देखा जा रहा है। इसे अक्षय ऊर्जा और बायोमास से उत्पन्न किया जा सकता है, जो भारत में प्रचुर मात्रा में है। एफसीईवी अपने ईंधन सेल से बिजली उत्पन्न करने के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करता है, जिससे वाहन उत्सर्जन-मुक्त हो जाता है। हाइड्रोजन पृथ्वी पर सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्व है और बिजली उत्पादन प्रक्रिया भी पर्यावरण के अनुकूल है।

    एफसीईवी की रेंज और चुनौतियां : टोयोटा मिराई की बात करें, तो यह कार फुल टैंक में करीब 646 किलोमीटर तक की दूरी तय करने में सक्षम है। टोयोटा मिराई, हुंडई नेक्सो और होंडा क्लैरिटी ग्लोबली लोकप्रिय एफसीईवी हैं। फिलहाल हाइड्रोजन कार बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की तरह अधिक लोकप्रिय नहीं है, क्योंकि ईंधन के रूप में हाइड्रोजन की उपलब्धता जापान जैसे विकसित देशों में भी एक चुनौती है। भारत में हाइड्रोजन नीति के तहत वर्ष 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन के घरेलू उत्पादन को प्रतिवर्ष 50 लाख टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि एफसीईवी प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में ईंधन सेल की लागत और हाइड्रोजन ईंधन भरने का बुनियादी ढांचा अभी सबसे बड़ी चुनौती है। जैसे-जैसे इसका उपयोग बढ़ेगा, बुनियादी ढांचा भी विकसित होने लगेगा। टोयोटा और आइसीएटी के बीच सहयोग के बारे में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का कहना है कि यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसका उद्देश्य हाइड्रोजन, एफसीईवी टेक्नोलाजी के बारे में जागरूकता फैलाना है।

    हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में उपयोग : स्वच्छ ईंधन स्रोत के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग कोई नयी बात नहीं है। इसका उपयोग काफी पहले से होता आ रहा है। वर्ष 1937 में जर्मन पैसेंजर एयरशिप एलजेड 129 हिंडनबर्ग में अटलांटिक के पार उड़ान भरने के लिए हाइड्रोजन ईंधन का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, 1960 के दशक के अंत में हाइड्रोजन ईंधन सेल ने नासा के अपोलो मिशन को चंद्रमा तक पहुंचाने में मदद की थी।

    • 1970 के दशक में तेल की कीमतों में वृद्धि के बाद जीवाश्म ईंधन के स्थान पर हाइड्रोजन ईंधन की संभावना पर गंभीरता से विचार किया जाने लगा।
    • तीन कार निर्माता कंपनियां यानी जापान की होंडा, टोयोटा और दक्षिण कोरिया की हुंडई तब से सीमित पैमाने पर इस तकनीक के व्यावसायीकरण की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
    • प्रकृति में हाइड्रोजन सबसे सामान्य तत्व होने के बाद भी स्वतंत्र रूप से नहीं पाया जाता है। हाइड्रोजन केवल अन्य तत्वों के साथ संयुक्त रूप से मौजूद है, जैसे-प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला यौगिक पानी (दो हाइड्रोजन परमाणुओं और एक आक्सीजन परमाणु का संयोजन) है।
    •  जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न हाइड्रोजन को ग्रे हाइड्रोजन कहा जाता है। यह आज उत्पादित हाइड्रोजन का बड़ा हिस्सा है।
    • पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।

    प्रचलन में हैं कई तरह की इलेक्ट्रिक गाड़ियां...

    फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ही श्रेणी में आते हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) को आम तौर पर चार श्रेणियों में बांटा गया है:

    एचईवीएस : हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल को हाई फ्यूल इकोनामी माना जाता है। यह पेट्रोल कार की तुलना में कम फ्यूल की खपत करता है। साथ ही, यह उत्सर्जन भी कम करता है। इसमें हाइब्रिड व्हीकल ड्राइवट्रेन होता है, जो ईंधन का काफी कम उपयोग करता है।

    पीएचईवी : इसे प्लग-इन हाइब्रिड व्हीकल कहा जाता है। इसमें बैटरी के साथ पेट्रोल का उपयोग होता है। जैसे शेवरले वोल्ट भी हाइब्रिड ड्राइवट्रेन है।

    बीईवीएस : इसे बैटरी पावर्ड इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी बीईवी कहा जाता है। निसान लीफ या टेस्ला माडल एस में आपको आइसी इंजन या ईंधन टैंक नहीं मिलता है। यह पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन पर चलता है और रिचार्जेबल बैटरी द्वारा संचालित होता है।

    फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स: फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन या एफसीईवी जैसे टोयोटा की मिराई, होंडा क्लैरिटी और हुंडई की नेक्सो आन-बोर्ड इलेक्ट्रिक मोटर को पावर देने के लिए हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करती है। ये पूरी तरह से बिजली से संचालित होते हैं, यही कारण है कि एफसीईवी को ईवी माना जाता है। बीईवी के विपरीत इसकी रेंज और ईंधन भरने की प्रक्रिया पारंपरिक कारों की तरह ही होती है।

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