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लाइफस्टाइल: जिमिंग नहीं, घरेलू कामकाज से पा रहे हैं फिटनेस

लोग घरों के काम काज स्वयं करके फिटनेस पाने की राह पर चल रहे हैं। कई कंपनियों में तो बाकायदा इस बात के लिए लोगों को प्रेरित भी किया जा रहा है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jul 2018 08:52 AM (IST)
लाइफस्टाइल: जिमिंग नहीं, घरेलू कामकाज से पा रहे हैं फिटनेस
लाइफस्टाइल: जिमिंग नहीं, घरेलू कामकाज से पा रहे हैं फिटनेस

गुरुग्राम (प्रियंका मेहता दुबे)। दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संख्या के कर्मचारी अब कई मायनों में विदेशी कल्चर अपनाने लगे हैं। पाश्चात्य सभ्यता का सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। पार्टी कल्चर व मॉडर्न सोच के प्रभाव में जहां लोग अपनी जड़ों से दूर हो रहे थे, वहीं अब इन्हीं प्रभावों से लाइफस्टाइल में जो नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं, उसमें न केवल लोग पैसे बचा रहे हैं बल्कि फिटनेस पाने की ओर भी आगे बढ़ रहे हैं। लोग घरों के काम काज स्वयं करके फिटनेस पाने की राह पर चल रहे हैं। कई कंपनियों में तो बाकायदा इस बात के लिए लोगों को प्रेरित भी किया जा रहा है।

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बेहतर जरिया है घर का कामकाज

फिटनेस एक्सपर्ट याश्मीन मानक के मुताबिक बदलती लाइफस्टाइल में जहां लोग शारीरिक श्रम नहीं कर पाते और दिन भर कंप्यूटर, लैपटॉप के आगे बैठे रहते हैं, उन्हें फिट रहने के लिए जिमिंग की जरूरत पड़ती है। लेकिन अगर लोग घर के काम करें, शारीरिक श्रम करें और अनुशासित दिनचर्या अपनाएं तो उन्हें फिट रहने के लिए अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत नहीं होती।

मल्टीनेशनल कंपनियां ला रही हैं बदलाव

मल्टीनेशनल कंपनियों के कर्मचारी विदेशों में जाते हैं और वहां जाकर जो कल्चर देखते हैं, उससे उनका उत्साह बढ़ता है। एक कंपनी कर्मचारी नीरज पाहुजा के मुताबिक उन्हें तीन महीने के लिए यूएस भेजा गया था और वहां जाकर उन्होंने देखा कि कंपनी के बड़े से बड़े अधिकारी अपना घरेलू काम खुद करते हैं। इससे फिट रहने के साथ साथ वे अपनों को भी अधिक समय दे पाते हैं। नीरज जब से वहां से लौटकर आए हैं वे अपना काम खुद करते हैं। इस तरह से उनके जिम व घरेलू सहायिका का खर्च बचाने के साथ-साथ घर पर भी वक्त दे पाते हैं।

श्वेता जैन (फॉर्मल ट्रेनर, इंश्योरेंस कंपनी) की मानें तो फिट रहने के लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत जरूरी है। हम अब घरेलू कामकाज से दूर हो गए हैं इसलिए हमें जिमिंग का सहारा लेना पड़ता है। अब चीजें बदल रही हैं। कंपनियों में रहते हुए हम लोग देखते हैं कि विदेशी अपना काम खुद करते हैं जिससे वे फिट भी रहते हैं। ऐसे में हम भी इसी तरह का रुटीन अपना रहे हैं।

एमएनसी में मैनेजर शमी तलवार का कहना है कि पहले ऑफिस का काम, फिर जिम में पसीना बहाना, उसके बाद थके हारे घर पहुंचना। न फेमिली को क्वालिटी टाइम दिया जा सकता है और न ही फिट फील किया जा सकता है। अब लोग इस चीज को समझने लगे हैं। खासतौर पर मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले लोग डोमेस्टिक हेल्प से काम करवाने की बजाए खुद मिलजुल कर काम करना पसंद कर रहे हैं। इससे उनकी शारीरिक व मानसिक फिटनेस पर भी फर्क पड़ रहा है, जो कि अच्छा बदलाव है।


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