DTC Bus Service: कैसे करें किराए का ई-भुगतान जब खराब है क्यूआर कोड स्कैन स्टीकर
लोग आनलाइन माध्यम से किराए का भुगतान करे इसके लिए 18 जुलाई से किराए पर दस फीसद की रियायत भी दी जा रही है। पर अफसोस की बात यह है कि कई बसों में क्यूआर कोड स्कैन स्टीकर खराब हो चुके है।

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। आनलाइन लेन-देन को बढ़ावा मिले इसके लिए सरकार प्रयासरत है। बिजली बिल से लेकर टैक्स भुगतान व खरीदारी के लिए भी लोग आनलाइन माध्यम का प्रयोग करें इसके लिए उन्हें लगातार प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए कई तरह की छूट भी लोगों को दी जाती है। इसी क्रम में डीटीसी व कलस्टर बसों में सफर करने वाले यात्री भी आनलाइन माध्यम से किराए का भुगतान करें, इसके लिए दिल्ली परिवहन विभाग ने चार्टर एप तैयार की और सभी बसों में क्यूआर कोड स्कैन स्टीकर लगाए गए थे। लोग आनलाइन माध्यम से किराए का भुगतान करे इसके लिए 18 जुलाई से किराए पर दस फीसद की रियायत भी दी जा रही है। पर अफसोस की बात यह है कि कई बसों में क्यूआर कोड स्कैन स्टीकर खराब हो चुके है।
न सिर्फ स्कैन स्टीकर बल्कि चार्टर एप का प्रयोग कैसे करें और कैसे ई-भुगतान करें से जुड़ा दिशानिर्देश स्टीकर भी अधिकांश बसों में खराब पड़ा है। इसके अलावा कई बसों में तो क्यूआर कोड स्कैन स्टीकर देखने को नहीं मिलते है। आलम यह है कि सरकार की आनलाइन लेन-देन के प्रयास सफल होते हुए नजर नहीं आ रहे है।
यात्री शैलेश गोयल ने बताया कि नोटबंदी के बाद धीरे-धीरे मैंने ई-भुगतान को अपनी आदत में शुमार कर लिया है। जिसके कारण नकद की काफी कम जरूरत महसूस होती है। जेब में यदि नकद होते भी है तो 100, 200 या 500 का नोट होते है। पर बस में सफल करने के लिए खुल्ले पैसे जरूरी है। ऐसे में मजबूरी में ही बस से सफर करता हूं। पर अब बसों के किराए का भी आनलाइन भुगतान कर सकते है, यह सरकार का सराहनीय कदम है। पर अभी भी अधिकांश यात्री इस बात से अनजान है कि आनलाइन किराए का भुगतान करने पर दस फीसद की रियायत मिलेगी। अधिक से अधिक यात्री सरकार के इस प्रयास को जाने के इसके लिए बसों में स्टीकर लगे होने चाहिए।
इसके अलावा कई बसों में क्यूआर कोड स्कैन स्टीकर व जरूरी दिशानिर्देश के स्टीकर उखड़ गए या खराब है तो उन्हें बदलने की बेहद जरूरत है। बारिश के कारण स्टीकर की हालत अब और खराब हो गई है। साथ में बस में स्टीकर ऐसे जगह लगे हो जहां सबकी नजर पड़े और लोग सीधा परिचालक के पास जाने के बजाय उसे दो मिनट पड़े और ई-भुगतान करने का मन बनाए।
वहीं मिथिलेश ने बताया कि ई माध्यम से किराए का भुगतान की सुविधा ने काफी परेशानियों को कम किया है। आमतौर पर खुल्ले पैसे के अभाव के कारण परिचालक टिकट देेने के बाद शेष रुपये थोड़ी देर में देने की बात कहते है और अधिकांश यात्री जल्दबाजी में बिना शेष रुपये लिए स्टैंड पर उतर जाते है। इससे यात्रियों को काफी आर्थिक नुकसान होता था। इसके अलावा टिकट को संभालकर रखना भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। साथ ही टिकट लेने के लिए परिचालक के आसपास भीड़भाड़ के माहौल के बीच असामाजिक तत्व यात्रियों की जेब पर हाथ साफ कर लेते है।
परिवहन विभाग को चाहिए कि जिन-जिन बस में क्यूआर कोड स्कैन स्टीकर खराब हो गए है उन्हें बदला जाए। साथ ही जो लोग आनलाइन भुगतान में कुशल नहीं है उनके लिए दिशानिर्देश से जुड़ा स्टीकर काफी उपयोगी है। इसलिए उसका दुरुस्त होना भी बेहद जरूरी है।

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