कैसे बनता है जानलेवा मांझा? जो दुर्घटना होने का बनता है कारण, हादसे रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने की ये तैयारी
पतंगबाजी के शौकीन लोगों के लिए यह जरूरी खबर है। 15 अगस्त आने वाला है। ऐसे में इस दिन पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। इस बार जानलेवा मांझे पर नकेल कसने के लिए की दिल्ली पुलिस ने भी तैयारी कर ली है। हैरानी की बात ये है कि प्रतिबंध के बावजूद बाजारों में अभी से ही चोरी से मांझा बिकने शुरू हो गए हैं।
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। हर साल जानलेवा मांझे से गर्दन कटने के कारण दर्जनभर लोग अपनी जान गंवा देते हैं। राजधानी में पतंगबाजी के शौकीन अनजाने या जानबूझकर इसका इस्तेमाल करते हैं। अगस्त से इसकी बिक्री और भंडारण शुरू हो जाता है लेकिन, जुलाई से ही दिल्ली पुलिस मुस्तैद हो गई है।
जानलेवा मांझे पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। कुछ जगह छापे मारे गए हैं। लेकिन यह प्रयास हर साल की तरह बेकार जाएंगे या पुलिस की कार्रवाई इस बार असर लाएगी। यह देखना बाकी है।
जानलेवा मांझे को बिकने से पहले रोकने के लिए पुलिस ने छापेमारी शुरू की है। शाहदरा जिला पुलिस ने विभिन्न जगहों पर छापे मार प्रतिबंधित मांझे की 40 चरखी व उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस ने 10 चरखी बरामद की हैं। दिल्ली पुलिस जल्द इसको लेकर अलर्ट भी जारी करने वाली है।
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता व डीसीपी सुमन नलवा का कहना है कि जानलेवा मांझे से पतंग उड़ाना अपराध है। इसलिए लोगों को पतंग उड़ाने से पहले अपनी चरखी में लगे धागे की जांच कर लेनी चाहिए कि कहीं वे जिस मांझे का इस्तेमाल कर रहे हैं वह जानलेवा की श्रेणी में तो नहीं आता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर किसी को जानलेवा मांझे के इस्तेमाल, निर्माण या भंडारण के बारे में जानकारी मिलती है तो वह तुरंत 112 नंबर पर पुलिस को शिकायत कर दें।
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) इसको लेकर पड़ोसी राज्यों की पुलिस से भी समन्वय कर रही है ताकि वहां भी सक्रियता बढ़े और लोगों को बाजारों में जानलेवा मांझा न मिल पाए। उन्होंने कहा कि लोगों को सोचने की जरूरत है कि जानलेवा मांझे का इस्तेमाल करना अवैध है। इसलिए पतंग उड़ाने वाले को सावधान रहने की जरूरत है।
जिस मांझे पर कांच या किसी अन्य सामग्री या नायलान की कोटिंग होती है देश भर में उसपर प्रतिबंध है। इसलिए जानलेवा मांझे के उपयोग, खरीद, भंडारण और निर्माण पर प्रतिबंध लगा हुआ है। पुलिस इससे जुड़े लोगों के खिलाफ सरकारी आदेश का उल्लंघन व पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा पांच के तहत कार्रवाई करती है। उक्त धाराओं के तहत पांच लाख रुपये जुर्माना व जेल भी हो सकती है।
सुमन नलवा का कहना है कि जानलेवा मांझे को लेकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। पुलिस जल्द इंटरनेट मीडिया व एफएम रेडियो के जरिये अभियान चलाएगी। उनका कहना है कि जानलेवा मांझा से होने वाले खतरे को रोकने के लिए पुलिस की हर जिले में टीमें बना दी गई हैं जो छापेमारी करेंगी और आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करेगी। हर थाना स्तर पर इसकी निगरानी शुरू कर दी गई हैं।
चाइनीज मांझे के इस्तेमाल पर रोक को लेकर पर्यावरण विभाग की तरफ से पहले से सभी संबंधित विभागों को दिशा निर्देश जारी है कि दिल्ली में जानलेवा मांझे के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। प्रतिबंध को कड़ाई से लागू कराने के लिए सभी विभागों को नजर रखने को कहा गया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जुलाई 2017 में लगाया था प्रतिबंध
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने जुलाई 2017 में जानलेवा मांझे की बिक्री पर पूरे देश में प्रतिबंध लगा दिया था। पीपल्स फार एथिकल ट्रीटमेंट आफ एनिमल की अर्जी पर यह आदेश आया था जिसमें कहा गया था कि पतंग उड़ाना देश की परंपरा रही है, लेकिन जानलेवा मांझे से पशु-पक्षी और लोग बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं। मांझा बनाने वाली कंपनियां सुप्रीम कोर्ट गईं थी, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली।
कैसे बनता है जानलेवा मांझा
जानलेवा मांझा (Deadly Manja) नायलान और सिंथेटिक धागे से बनता है। कांच और अन्य धातु का भी प्रयोग किया जाता है, जिससे यह बिजली का संवाहक बन जाता है। इसके बिजली के तार व अन्य उपकरणों के संपर्क में आने से करंट लगने का खतरा रहता है। इस तरह की मांझे से दिल्ली सहित पूरे देश में कई लोगों की जान जा चुकी है।
इससे पहले राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने भी सभी राज्यों से इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया था। आमतौर पर मांझा धागे से बनता है। उस पर कांच की लेयर चढ़ाई जाती है। साधारण मांझा भी धार की वजह से काफी खतरनाक होता है, लेकिन यह आसानी से टूट जाता है।
जानलेवा मांझा खास मैटेरियल से बनता है, जिसे तोड़ना काफी मुश्किल होता है। इसलिए यह अधिक खतरनाक है। इसको विशेष रूप से तैयार किया जाता है। जानलेवा मांझे को बनाने में पांच-छह प्रकार के केमिकल और अन्य धातुओं का प्रयोग किया जाता है। इनमें सीसा, वजरम नामक औद्योगिक गौंद, मैदा फलौर, एल्युमीनियम ओक्साइड और जिरकोनिया ऑक्साइड का प्रयोग होता है। इन सभी चीजों के मिश्रण से तेज धार वाला जानलेवा मांझा तैयार होता है।
जानलेवा मांझे से दुर्घटना होने का रहता है खतरा
जानलेवा मांझा काफी धारदार होता है। इसमें इलेक्ट्रिक कंडक्टर होता है, ऐसे में इसमें करंट आने का भी खतरा रहता है। साथ ही यह आसानी से टूटता नहीं है और किसी के गले या अन्य हिस्से में फंस जाए तो दुपहिया वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो जाता है। कटी हुई पतंग की डोर गले में फंसने का डर रहता है।
इससे एक्सीडेंट होने का खतरा होता है। मांझे से लोग घायल हो जाते हैं। सूती धागे से बना मांझा हल्के झटके के बाद टूट जाता है। सूती धागे दस प्रतिशत भी नहीं बिकते। जानलेवा मांझे की बिक्री सबसे अधिक होती है। यह मानसून में भी खराब नहीं होता है। जानलेवा धागों की चपेट में आने से पशु पक्षी भी जख्मी हो जाते हैं।
पुरानी दिल्ली का लालकुआं चाइनीज मांझे का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। यहां पिछले साल अधिकतर दुकानदार अपनी दुकानों के आगे यहां चाइनीज मांझा नहीं बिकता के बोर्ड लगाए थे मगर कोड वर्ड बताने पर वे ग्राहकों को चाइनीज मांझा बेचने को तैयार हो गए थे। इसके अलावा सदर बाजार, अलीपुर, गुरूग्राम व लोनी में जानलेवा मांझा बेचे जाते हैं।
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