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    CUET 2022 : आखिर कितनी जरूरी थी यह पहल और छात्रों को इससे कितना लाभ मिलेगा

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Sat, 26 Mar 2022 12:59 PM (IST)

    यूजीसी द्वारा अब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बारहवीं के अंकों के बजाय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के आधार पर प्रवेश देने के निर्णय से अंकों की दौड़ पर रोक लग सकेगी और विद्यार्थियों को उनकी योग्यता के आधार पर समान अवसर मिल सकेंगे।

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    आखिर कितनी जरूरी थी यह पहल और छात्रों को इससे कितना लाभ होगा, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...

    अरुण श्रीवास्तव। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) सहित अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने का सपना देशभर के विद्यार्थियों का होता है, पर अंकों के आधार पर दाखिला होने से अब से पहले अधिकतर की अभिलाषा पूरी नहीं हो पाती थी। डीयू की बात करें, तो यहां के सेंट स्टीफेंस, एसआरसीसी, किरोड़ी मल, मिरांडा हाउस, हिंदू कालेज, रामजस आदि जैसे तमाम प्रतिष्ठित कालेजों में एडमिशन का कट-आफ शत-प्रतिशत रहता रहा है। इसका फायदा सीबीएसई बोर्ड से पढ़ने वाले चुनिंदा स्कूलों के विद्यार्थियों को ही मिलता था, जबकि देश के विभिन्न राज्यों के बोर्डों के विद्यार्थियों को कम अंक मिलने का खामियाजा भुगतना पड़ता था।

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    दरअसल, पाठ्यक्रम और परीक्षा का तरीका अलग होने के कारण जहां सीबीएसई बोर्ड के छात्रों को शत-प्रतिशत या उसके करीब अंक पाने में आसानी होती रही है, वहीं पद्धति अलग होने और शत-प्रतिशत मार्किंग न हो पाने के कारण राज्य बोर्डों से पास होने बच्चे अपेक्षाकृत अधिक होनहार होने के बावजूद अंकों की दौड़ में पिछड़ जाते थे। कम अंक होने के कारण उन्हें डीयू जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में प्रवेश से वंचित रह जाना पड़ता था। यह विसंगति वर्षों से चली आ रही थी, जिसे दूर करने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। अच्छी बात यह है कि केंद्र सरकार और यूजीसी की पहल से वर्षों की मशक्कत के बाद अब आगामी सत्र से यह विसंगति कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) से दूर होने जा रही है यानी अब बारहवीं के अंकों के आधार पर नहीं, बल्कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही डीयू और देश के 45 अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला मिलेगा। इससे छात्रों को प्रवेश परीक्षा में अपने प्रदर्शन के आधार पर अपनी पसंदीदा यूनिवर्सिटी और कालेज में दाखिला लेने का अवसर मिल सकेगा। हालांकि इस प्रवेश परीक्षा के बाद भी यह जरूरी नहीं कि आपको अपने पसंदीदा संस्थान में ही प्रवेश मिल जाए। ऐसा तभी होगा, जब आप मेरिट में ऊपर होंगे।

    संशय दूर करने की पहल : सीयूईटी की घोषणा होने के साथ ही शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों द्वारा इस प्रवेश परीक्षा और इसके प्रारूप को लेकर सवाल उठाए जाने लगे थे कि पहले इस तरह की कोई परीक्षा न होने के कारण इस बात को लेकर संशय है कि पता नहीं इसका स्तर क्या होगा? किस तरह के प्रश्न पूछे जाएंगे? हालांकि इस तरह का संशय दिखाना जल्दबाजी ही था, क्योंकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भी इस तरह के सवाल उठने का अंदाजा था। तभी उसने बिना देर किए इस बारे में काफी हद तक स्पष्ट कर दिया है। भारत सरकार की संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की देखरेख में आयोजित होने वाली इस एक घंटे की अवधि वाली परीक्षा में सभी प्रश्न बारहवीं स्तर के होंगे, जिसमें कुल 75 प्रश्न होंगे। कंप्यूटर आधारित इस परीक्षा का आयोजन पूरे देश में किया जाएगा। इतना ही नहीं, इस परीक्षा को हिंदी, अंग्रेजी सहित 13 भाषाओं में आयोजित करने की घोषणा से उन बच्चों और अभिभावकों के मन का यह संशय भी दूर हो गया है, जो इसके अंग्रेजी में होने का अनुमान लगाकर डर रहे थे। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम जगदीश कुमार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि देश भर के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्कोर लिस्ट सीयूईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर ही बनेगी और इसमें बारहवीं के अंकों को कोई वेटेज नहीं दिया जाएगा। हालांकि कोई विश्वविद्यालय चाहे तो वह 12वीं के अंकों को क्वालिफाइंग क्राइटेरिया के रूप में रख सकता है यानी कोई विवि किसी कोर्स के लिए 60 प्रतिशत न्यूनतम क्राइटेरिया रख सकता है। छात्र को विश्वविद्यालय की साइट पर जाकर इस क्राइटेरिया को देखना होगा, ताकि उसके आधार पर वह वहां आवेदन कर सके। यूजीसी या एनटीए द्वारा केंद्रीय स्तर पर किसी तरह की सेंट्रलाइज्ड काउंसिलिंग नहीं होगी। प्रत्येक विश्वविद्यालय सीयूईटी के अंकों के आधार पर अपनी प्रवेश प्रक्रिया संचालित करेगा।

    इस स्पष्टीकरण के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश चाहने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों के लिए अब आगे इसकी तैयारी करना आसान हो सकता है। इसके लिए उन्हें अभी से जुट जाना होगा और नियमित रूप से पढ़ाई के साथ प्रश्नों को हल करने का अभ्यास भी करना होगा। परीक्षार्थियों को चाहिए कि वे बारहवीं तक की एनसीईआरटी की किताबों (खासकर विज्ञान, भूगोल, अर्थव्यस्था, राजनीतिक व्यवस्था, इतिहास आदि) को आधार बनाकर समझकर पढ़ाई करें। इससे न केवल उनका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि सीयूईटी पास करने में और योग्यता सूची में ऊपर स्थान पाने में भी उन्हें आसानी होगी।

    उपयोगी बातें

    -सीबीएसई या राज्य बोर्ड से बारहवीं उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं सीयूईटी में सम्मिलित हो सकेंगे।

    -एनटीए द्वारा आयोजित एक घंटे की यह परीक्षा कंप्यूटर आधारित होगी, जिसमें बारहवीं के पाठ्यक्रम पर आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे।

    -इस परीक्षा के प्रश्न मुख्य रूप से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित होंगे यानी एनसीईआरटी की किताबों को आधार बनाकर ही इसकी तैयारी और रिवीजन किया जाना बेहतर होगा।

    -इस परीक्षा को 13 भाषाओं में से किसी में देने का विकल्प होगा। इस बारे में स्पष्ट उल्लेख आवेदन करते समय करना होगा।

    उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम : केंद्र सरकार के निर्देश पर यूजीसी द्वारा इस वर्ष से सीयूईटी कराने का अंतिम निर्णय लिया जाना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा और साहसी कदम माना जा रहा है। हालांकि इसकी मांग दशकों से की जा रही थी। वैसे वर्ष 2010 में यूपीए-दो के शासन काल में आधे-अधूरे मन से इसकी पहल की गई थी, लेकिन तब संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन को अनिवार्य नहीं किया गया था। उस समय देशभर के केवल 14 केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा ही इसे स्वीकार किया गया था। जबकि खुद देश की राजधानी में स्थित और प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय को इसकी सबसे अधिक जरूरत थी। दाखिलों के समय जिस तरह डीयू में अंकों का कटआफ सौ प्रतिशत रहता रहा है, उसे देखकर और उसके बारे में पढ़कर हर कोई हैरान होता था। जरा सोचिए, 90-95 प्रतिशत अंक पाने के बावजूद जब किसी बच्चे को डीयू के अपने पसंदीदा कालेज और कोर्स में एडमिशन नहीं मिल पाता था, तो उनके और उनके माता-पिता को कितनी हताशा-निराशा होती होगी। स्वाभाविक है इससे अंकों की होड़ को बढ़ावा ही मिला, जिसका मनोवैज्ञानिक दबाव बच्चों पर पड़ता था। सीयूईटी लागू हो जाने से बारहवीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले बच्चों पर अधिक अंक लाने का दबाव निश्चित रूप से कम होगा।