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    Monkeypox & Corona: कोरोना से कितना खतरनाक है मंकीपॉक्स वायरस? एम्स के डॉक्टर ने लोगों के लिए क्या कहा

    Updated: Tue, 10 Sep 2024 09:27 PM (IST)

    Monkeypox Corona मंकीपॉक्स और कोरोना वायरस की तुलना करते हुए एम्स के डॉक्टर ने बताया कि मंकीपॉक्स उतना तेजी से नहीं फैलता जितना कोरोना। यह 50 साल पुराना वायरस है और इसके बारे में पहले से ही जानकारी है। मंकीपॉक्स ज्यादातर नजदीकी संपर्क से फैलता है और इसकी मृत्यु दर भी कोरोना से कम है। हालांकि सतर्कता जरूरी है।

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    कोरोना से कितना खतरनाक है मंकीपॉक्स वायरस? एम्स के डॉक्टर ने लोगों के लिए क्या कहा

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मंकीपॉक्स का एक मामला सामने आने के बाद लोगों में इस बीमारी को लेकर आशंका बढ़ने लगी है। इस बीच एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। मंकीपॉक्स की बीमारी पीड़ादायक जरूर है, लेकिन यह कोरोना की तरह ज्यादा तेजी से फैलने वाली बीमारी नहीं है।

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    विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैश्विक इमरजेंसी घोषित जरूर किया है। फिर भी कोरोना की तरह मंकीपॉक्स का संक्रमण बढ़ने का खतरा नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।

    कोरोनो से पुराना है मंकीपॉक्स वायरस

    उन्होंने बताया कि यह 50 वर्ष पुरानी बीमारी है। वर्ष 2022 में भारत में भी इसके 30 मामले आए थे। उस वक्त दिल्ली में 15 मामले आए थे। कोरोना नया वायरस था। इस वजह से उसके बारे में चिकित्सा जगत को पहले से ज्यादा मालूम नहीं था। मंकीपॉक्स के बारे में पहले से जानकारी है।

    ज्यादा नजदीक आने से फैलती है बीमारी

    वैसे तो यह भी ड्रॉपलेट से फैल सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में नजदीकी संपर्क से यह बीमारी होती है। इसलिए मरीज को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग कमरे में रखकर इस बीमारी की रोकथाम ज्यादा आसान है। वर्ष 1980 तक लोगों को चेचक का टीका दिया जाता था।

    मृत्युदर ज्यादा नहीं

    जिन लोगों को पहले चेचक का टीका लगा है या जिन्हें पहले चेचक हो चुका है उन लोगों में इसका संक्रमण होने का खतरा खास नहीं है। चेचक की तरह मंकीपॉक्स में मृत्यु दर ज्यादा नहीं है। ज्यादातर मरीज दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।

    मरीज को कमरे में आइसोलेट करना चाहिए

    एम्स के मेडिसिन के एडिशन प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि मंकीपॉक्स के मरीज को अस्पताल या घर में अलग कमरे में आइसोलेट रखना चाहिए और तीन स्तर का मास्क इस्तेमाल करना चाहिए। त्वचा पर बने फफोले व जख्म ढंक कर रखना चाहिए।

    कब तक आइसोलेशन में रहना है मरीज को

    त्वचा बने फफोले ठीक होने के बाद जब तक जख्म की त्वचा सूखकर झड़ न जाए तब तक मरीज को आइसोलेशन में ही रहना चाहिए। मरीज को लक्षण के आधार पर इलाज किया जाता है। दूसरे बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाव के लिए जरूरत पड़ने पर मरीज को एंटीबायोटिक दी जाती है।

    मंकीपॉक्स के लक्षण

    • बुखार
    • शरीर में जगह-जगह गांठ बना
    • सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट
    • ठंड लगना व पसीना आना
    • गले में खराश व खांसी
    • त्वचा पर लाल चकत्ते, फफोले, खुजली, त्वचा पर जख्म