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    200 करोड़ की धोखाधड़ी में हाउसिंग प्रोजेक्ट के तीन निदेशक गिरफ्तार

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    Updated: Sun, 02 Dec 2018 10:39 AM (IST)

    ग्राहकों द्वारा अपार्टमेट की 90 फीसद राशि दे दिए जाने के बावजूद तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा होना तो दूर आधा भी बनकर तैयार नहीं हुआ था। ...और पढ़ें

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    200 करोड़ की धोखाधड़ी में हाउसिंग प्रोजेक्ट के तीन निदेशक गिरफ्तार

    नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने नोएडा के सेक्टर-107 स्थित एक हाउसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर ग्राहकों से 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में हासिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशकों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी और विधुर भारद्वाज के रूप में हुई है।

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    फ्लैट समय पर नहीं दे सके 
    आरोपितों ने ग्राहकों को 39 महीने में अपार्टमेंट देने का वादा कर उनसे फ्लैट की 90 फीसद राशि वसूल ली थी, लेकिन चार वर्ष बीत जाने के बावजूद प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ। वहीं, फ्लैट की राशि आरोपितों ने अपनी अन्य सहायक कंपनी में स्थानांरित कर ग्राहकों को टरकाना शुरू कर दिया था।

    दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर की राशि
    शिकायत मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने ठगी व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर शुक्रवार को तीनों को दबोच लिया। शनिवार को आरोपितों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।

    ठगी की जांच शुरू
    आरोपितों पर दर्ज ठगी के अन्य मुकदमों की भी जांच की जा रही है। आर्थिक अपराध शाखा के एडिशनल सीपी सुवाशीष चौधरी ने बताया कि हासिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर-107 में लोटस ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट की योजना बनाई गई थी।

    10 एकड़ में था घर बनाने का वादा 
    कंपनी ने वर्ष 2010 में करीब 10 एकड़ जमीन पर छह टावर में 300 फ्लैट बनाने की घोषणा की थी। फ्लैट खरीदने के इच्छुक ग्राहकों से कहा गया था कि 39 महीने में प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। झांसे में आकर करीब 300 लोगों ने इस प्रोजेक्ट पर अपने लाखों रुपये लगा दिए।

    90 फीसदी राशि देने के बावजूद नहीं बना घर
    ग्राहकों द्वारा अपार्टमेट की 90 फीसद राशि दे दिए जाने के बावजूद तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा होना तो दूर आधा भी बनकर तैयार नहीं हुआ था। जब लोगों ने इस बारे में कंपनी में बात की तो आर्थिक कारणों का हवाला देकर उनसे पांच-पांच लाख रुपये और वसूल लिए गए। इसके बाद भी प्रोजेक्ट के निर्माण में तेजी नहीं आई।

    बिना परमिशन बढ़ा दी संख्‍या
    उधर, कंपनी ने चालबाजी दिखाते हुए प्रोजेक्ट के अंतर्गत पहले से तय 300 अपार्टमेंट की संख्या बढ़ाकर 336 कर दी थी। इसके लिए संबंधित अथॉरिटी से कोई स्वीकृति भी नहीं ली गई थी। तय अवधि से लंबा समय बीत जाने पर भी ग्राहकों को न तो घर मिला और न ही उनके रुपये लौटाए गए।

    लोगों ने की शिकायत
    इसके बाद 50 ग्राहकों ने ठगी की शिकायत ईओडब्ल्यू में की। जांच में पुलिस ने पाया कि आरोपितों ने लोटस अपार्टमेट के लिए ली गई लोगों की राशि अपनी अन्य सहायक कंपनियों में स्थानांतरित कर दी है, जिसके बाद पुलिस ने मार्च 2018 में कंपनी के तीनों निदेशकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।

    मामला दर्ज होते ही हुए फरार
    आरोपित फरार हो गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि तीनों दिल्ली में हैं। इसके बाद पुलिस की टीम ने शुक्रवार को निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी और विधुर भारद्वाज को धर दबोचा। मामले की जांच की जा रही है।