सामूहिक दुष्कर्म जैसे मामले में साक्ष्य न मिलने से खत्म हो जाएगी न्याय की उम्मीद- दिल्ली हाईकोर्ट
निचली अदालत की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी की कमी देरी और न्यायालयों के तकनीकी दृष्टिकोण के कारण एक बार जोर साक्ष्य नष्ट हो जाते हैं वो हमेशा के लिए खो जाते हैं। सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने की पीड़िता की मांग को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में घटना की तारीख महत्वपूर्ण होती है।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सुबूतों की अहमियत पर जोर देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसे मामलाें में साक्ष्य न मिलने से न्याय की उम्मीद खत्म हो जाएगी।
निचली अदालत की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी की कमी, देरी और न्यायालयों के तकनीकी दृष्टिकोण के कारण एक बार जोर साक्ष्य नष्ट हो जाते हैं, वो हमेशा के लिए खो जाते हैं।
सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने की पीड़िता की मांग को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में घटना की तारीख महत्वपूर्ण होती है।
सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का दिया आदेश
ऐसे में निचली अदालत द्वारा सुबूतों को संरक्षित करना उतना ही महत्वपूर्ण था, जितना ही न्यायिक व्यवस्था में उसके विश्वास को बचाना था।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अदालत घटना के दिन दो मई 2023 के याचिकाकर्ता के घर के आसपास के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का अदालत आदेश देती है।

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