पुराने स्वरूप में लौटेगा ब्रिटिश काल का ऐतिहासिक गोल डाकघर, यहीं से हुई थी पिन कोड की शुरुआत
दिल्ली का ऐतिहासिक गोल डाकखाना अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा। INTACH द्वारा संरक्षण कार्य जारी है जिसमें भवन संग्रहालय क्लब हाउस और गेस्ट हाउस का जीर्णोद्धार हो रहा है। डाकघर पिन कोड की शुरुआत यहीं से हुई थी जिसका पिन कोड 110001 है। यह डाकघर आज भी महत्वपूर्ण मंत्रालयों और प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़ा हुआ है। नवीनीकरण के बाद यह डाकघर अगले साल तक पूरा होने की उम्मीद है।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दिल्ली का प्रतिष्ठित और एकमात्र ब्रिटिशकालीन हेरिटेज डाकघर गोल डाकखाना अगले साल के मध्य तक अपने पुराने भव्य स्वरूप में लौट आएगा।
आर्किटेक्चरल हेरिटेज सोसाइटी ऑफ इंडिया (INTACH) द्वारा इसका संरक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसके तहत न केवल मुख्य भवन, बल्कि संग्रहालय, क्लब हाउस और गेस्ट हाउस का भी संरक्षण किया जा रहा है। संग्रहालय में एक पुस्तकालय भी होगा। क्लब हाउस में बैठकें और समारोह आयोजित किए जाते हैं।
संरक्षण के तहत भवन की छतों को ग्रिल और प्लाई लगाकर सहारा दिया गया है। फिलहाल छतों की मरम्मत का काम चल रहा है। इसके बाद दीवारों और कमरों पर काम किया जाएगा।
संरक्षण कार्य पारंपरिक तरीकों और वस्तुओं से किया जा रहा है। जिसके तहत भवन को उसके मूल स्वरूप और वास्तुकला में लौटाने के साथ-साथ बाद में हुए निर्माणों को हटाकर सुरक्षित रूप से उपयोग योग्य बनाया जाना है।
डाक विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, वर्तमान में यह हेरिटेज भवन बेहद जर्जर हालत में है। छतों से पानी टपकने के साथ-साथ प्लास्टर भी उखड़कर गिर रहा था। ऐसे में, डाक विभाग ने इसके जीर्णोद्धार के लिए दिसंबर 2022 में INTACH के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
अनोखी है इसकी संरचना
बंगला साहिब गुरुद्वारे के पास स्थित यह डाकघर व्यस्त गोल चक्कर के बीच स्थित है। इसके आसपास से वाहन गुजरते हैं, जो इसे दिलचस्प बनाता है। इसकी ऊँचाई कम रखी गई है, ताकि पास के सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल का स्पष्ट दृश्य दिखाई दे।
यह इमारत लगभग 91 साल पुरानी है, जिसका निर्माण वर्ष 1934 में हुआ था। इसका वास्तुशिल्प मानचित्र ब्रिटिश सरकार के मुख्य वास्तुकार रॉबर्ट टोर रसेल ने बनाया था। विशेषज्ञों के अनुसार, आज़ादी से पहले तक यह वायसराय का कैंप डाकघर था। तब यह ब्रिटिश सरकार के संचार का मुख्य केंद्र था।
आज़ादी के बाद, 1948 में इसे प्रधान डाकघर या GPO का दर्जा मिला। तब से यहाँ डाक संबंधी कार्य होते हैं। वर्तमान में, संरक्षण के दौरान भी इसे बंद नहीं किया गया है। बल्कि, प्रत्येक भाग की मरम्मत के साथ डाक संबंधी कार्य जारी है।
अधिकारी के अनुसार, इंटैक द्वारा इसे पुराने स्वरूप में बहाल करने के साथ-साथ एक डाक काउंटर भी तैयार किया जाना है। उम्मीद है कि यह अगले साल तक पूरा हो जाएगा।
यहां से हुई थी डाकघर पिन कोड की शुरुआत
यह देश का पहला डाकघर है, जहाँ से डाकघर पिन कोड की शुरुआत हुई थी। इसका पिन कोड 110001 है। लोगों की शिकायतें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों तक इसी डाकघर के ज़रिए पहुँचती हैं।
इतना ही नहीं, संसद भवन, सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालय इसके दायरे में आते हैं। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री का पोस्ट बॉक्स भी यहीं है, जिससे पीएमओ का पत्र सीधे उन तक पहुँचता है।
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