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सबसे विवादित विभाग है रेलवे, किसी का आदेश नहीं मानता: हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने कहा कि आप (रेलवे) 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रहे है और ऐसे ही चलते रहिए।

By Amit MishraEdited By: Published: Fri, 23 Jun 2017 10:15 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 06:44 PM (IST)
सबसे विवादित विभाग है रेलवे, किसी का आदेश नहीं मानता: हाई कोर्ट
सबसे विवादित विभाग है रेलवे, किसी का आदेश नहीं मानता: हाई कोर्ट

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीय रेलवे सबसे विवादित विभाग है, जो केंद्र सरकार के सर्कुलर को भी नहीं मानता है। समस्या यह है कि रेलवे किसी का भी आदेश नहीं मानता है। ट्रेनें देरी से चलती हैं, रेलवे ट्रैक गंदे पड़े हैं। समस्याओं से निपटने की इच्छाशक्ति उसके पास नहीं है।

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हाई कोर्ट ने कहा कि आप (रेलवे) 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रहे है और ऐसे ही चलते रहिए। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी उत्तरी दिल्ली नगर निगम के खिलाफ रेलवे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की।

रेलवे स्टॉफ कॉलोनी में सेवाएं देने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने रेलवे से 48.73 करोड़ रुपये सेवा कर के रूप मे मांगे थे, जिसे नहीं चुकाने पर निगम ने रेलवे की संपत्ति को सील कर दिया था। सील खुलवाने के लिए रेलवे ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

हाई कोर्ट ने याचिका पर निगम और दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। निगम का कहना था कि शहरी विकास मंत्रालय के सर्कुलर में कहा गया है कि अगर अन्य कॉलोनियों की तर्ज पर सरकारी कॉलोनियों में भी निगम अपनी सेवाएं दे रहा है तो वह 75 फीसद सेवा कर प्राप्त करने का हकदार है।

रेलवे की तरफ से याचिका में कहा गया कि उसकी कॉलोनियां पहले ही आत्मनिर्भर है। ऐसे में उससे केवल 33 फीसद टैक्स ही लिया जाना चाहिए। वह पहले ही निगम को नौ करोड़ दे चुका है। रेलवे की दलीलों से असहमति जाहिर करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि शहरी विकास मंत्रालय के सचिव का सर्कुलर कहता है कि आपको 75 फीसद कर देना है। आपको इसका सम्मान करना चाहिए। इसे निगम और रेलवे के बीच में सिविल वार नहीं बनाया जा सकता है।

हाई कोर्ट ने कहा कि सील खोलने का आदेश तभी दिया जाएगा जब रेलवे 50 फीसद कर निगम को चुकाएगा। रेलवे 50 फीसद कर चुकाने का शपथपत्र दे तो अदालत अभी सील हटाने का आदेश दे देगी, लेकिन रेलवे ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी। 

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