हाई कोर्ट ने कहा ड्रग कंट्रोलर बताए कैसे एक पर्चे पर खरीदे गए 2,628 दवा के पत्ते, गौतम गंभीर की संस्था ने किया भुगतान
याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी व अन्य दलों के नेताओं की जांच ड्रग कंट्रोलर को सौंप दी है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने ड्रग कंट्रोलर को जांच कर 31 मई तक रिपोर्ट का आदेश दिया है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कोरोना मरीजों को दवाएं और आक्सीजन मुहैया कर मदद करने वाले नेताओं के खिलाफ एक याचिका में कालाबाजारी और जमाखोरी का आरोप लगाया गया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी व अन्य दलों के नेताओं की जांच ड्रग कंट्रोलर को सौंप दी है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने ड्रग कंट्रोलर को जांच कर 31 मई तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता राष्ट्रीय शूटर व हृदय फाउंडेशन के अध्यक्ष दीपक सिंह की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि पुलिस ने न तो यह देखा कि दवा कैसे हासिल और वितरित की गई, न ही यह पता लगाया कि किसके माध्यम से इसका भुगतान किया गया। पुलिस ने धोखाधड़ी के पहलू की जांच भी नहीं की। इस पर पीठ ने कहा कि यह जांच का विषय है कि गर्ग अस्पताल के डाक्टर संजय गर्ग के एक पर्चे पर दवा के 2,628 पत्ते कैसे खरीदे गए और इसका भुगतान गौतम गंभीर की संस्था के माध्यम से कैसे किया गया।
वितरण के बाद गंभीर फाउंडेशन की तरफ से दवा के 285 पत्ते दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) को वापस किए गए। ड्रग कंट्रोलर की तरफ से पेश हुई अधिवक्ता नंदिता राव ने विभाग में प्रशिक्षित कर्मियों की कमी की बात कही। इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार को ड्रग कंट्रोल विभाग को पर्याप्त संख्या में विशेषज्ञ उपलब्ध कराने को कहा। राव ने पीठ को बताया कि रेमडेसिविर एवं फैबीफ्लू दवाओं को लेकर उनके पास कोई शिकायत नहीं है कि किसी ने पैसे लेकर या बिना पर्चे के इसे दिया हो। इस पर पीठ ने कहा कि सवाल ये है कि जब दवा की कमी है, उस समय कोई केमिस्ट इस तरह से एक पर्चे पर कैसे बड़ी मात्रा में दवा उपलब्ध करा रहा है।
पीठ ने कहा कि केमिस्ट को बड़ी मात्रा में आपूर्ति करने का अधिकार भी नहीं है। उसके पास रिटेल बिक्री का अधिकार है और वह रिटेल उपभोक्ता को ही दे सकता है। अधिवक्ता विराग ने आप विधायक दिलीप पांडे और कांग्रेस के पूर्व विधायक मुकेश शर्मा का मामला भी उठाया, लेकिन पुख्ता प्रमाण के अभाव में अदालत ने मामले में सुनवाई से इन्कार कर दिया। अधिवक्ता सत्या ने सुनवाई के दौरान पीठ को बताया कि आप विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई गई है।
उन्होंने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों से आक्सीजन सिलेंडर के परिवहन के लिए अनुरोध किया था, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने कहा था कि उनके पास वाहन नहीं है। इसके बावजूद, पीडब्ल्यूडी लिखे वाहनों से आक्सीजन सिलेंडर आप विधायकों के घर उतारे गए। पुलिस की स्थिति रिपोर्ट कहती है कि कोई अपराध नहीं हुआ है, क्योंकि किसी के साथ धोखा नहीं हुआ। उन्होंने दलील दी कि मौजूदा विधायक नोडल अधिकारी नहीं हैं और उन्हें आक्सीजन के लिए नोडल अधिकारी या अदालत से संपर्क करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह जमाखोरी का मामला है।
इस पर पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि चिकित्सा आक्सीजन भी एक ड्रग है। ऐसे में ड्रग कंट्रोलर इस मामले की भी जांच करे। इस पर राव ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम की जांच ड्रग कंट्रोलर नहीं कर सकते। हालांकि, पीठ ने कहा कि आक्सीजन को स्टाक किया गया था और यह वहां पर बिक्री करने के लिए नहीं थी। पीठ ने कहा कि स्टाक करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। इसपर राव ने कहा कि आगे की जांच करके स्थिति रिपोर्ट पेश की जाएगी।