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    दो वर्षीय LLM कोर्स में दाखिले लिए लगी शर्त के खिलाफ याचिका दायर, DU और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 06:10 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीयू के दो वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम की एक शर्त को चुनौती देने वाली याचिका पर डीयू और बीसीआई से जवाब मांगा है। छात्रों ने शर्त को मनमाना और असंवैधानिक बताया है क्योंकि यह उन्हें पढ़ाई के दौरान वकालत करने से रोकती है। अदालत ने दोनों संस्थानों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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    कोर्ट ने डीयू के साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया से भी मांगा है जवाब।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दो वर्षीय LLM पाठ्यक्रम के संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) द्वारा लगाई गई शर्त को चुनौती देने वाली एक याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने डीयू से जवाब मांगा है।

    उक्त शर्त के तहत यह पाठ्यक्रम उन्हीं छात्रों के लिए उपलब्ध होगा जाेकि किसी रोजगार, व्यापार, पेशे, व्यवसाय या व्यवसाय में संलग्न नहीं हैं। न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने डीयू और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को नाेटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।

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    यह याचिका 32 छात्रों द्वारा दायर की गई है, जोकि सत्र 2024-2026 के लिए विधि संकाय में एलएलएम कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह शर्त मनमानी और असंवैधानिक है।

    याचिका में कहा गया कि डीयू द्वारा जारी शर्तों के तहत एलएलएम (दो वर्षीय पाठ्यक्रम) के छात्रों को यह घोषित करना होगा कि वे अपनी पढ़ाई के दौरान वकालत नहीं करेंगे।

    पहले से ही वकील के रूप में पंजीकृत याचिकाकर्ताओं ने उक्त शर्त को मनमानी व असंवैधानिक बताया। यह भी कहा कि उक्त शर्त संविधान के अनुच्छेद 14, 19(एक)(जी) और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन करती है।

    यह भी तर्क दिया कि यहां तक की अन्य विश्वविद्यालय एक वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम होने के बावजूद वकालत करने पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाते हैं।

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