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    Delhi News: कैग रिपोर्ट पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, BJP विधायक बोले- आखिरी दिन तक नहीं लटका सकते केस

    Updated: Fri, 17 Jan 2025 08:17 AM (IST)

    दिल्ली विधानसभा में आबकारी नीति घोटाले से जुड़ी कैग रिपोर्ट पेश करने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। भाजपा विधायकों का कहना है कि यह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला है जबकि विधानसभा अध्यक्ष का तर्क है कि नियमों के तहत पूरी प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

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    कैग रिपोर्ट पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी नीति घोटाला समेत विभिन्न विषयों से जुड़ी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्टों को सदन के पटल पर रखने के लिए विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने की मांग वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को हाई कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया।

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    वहीं, भाजपा विधायकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि मामले को आखिरी दिन तक नहीं लटकाया जा सकता। यह मामला मौजूदा सरकार को देखने का है, जिसने व्यय किया है और जवाबदेही लाने का है।

    न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ के समक्ष जेठमलानी ने कहा कि दिल्ली सरकार अपनी गलती का फायदा उठा रही है। मुद्दा यह है कि कैग रिपोर्टें विस और जनता के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह भी तर्क दिया कि विपक्षी नेता विधानसभा सदस्य हैं और अगर सरकार को बच निकलने की इजाजत दी गई तो यह लोगों के साथ ही संविधान से धोखाधड़ी होगी।

    विधानसभा स्पीकर की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने तर्क दिया कि क्या निर्देश जारी करने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा होगा? उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब वर्तमान विस की अवधि मुश्किल से 20 दिन बची है। इस अवधि में नियमों के तहत पूरी प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सकता।

    भाजपा विधायकों के तर्कों का विरोध करते हुए नंदराजोग ने तर्क दिया कि यह मौलिक अधिकार के उल्लंघन का मामला नहीं है। यदि यह मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, तो असाधारण मामलों में अदालत हस्तक्षेप करके निर्णय दे सकती है।

    अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कैग रिपोर्टों पर सदन समितियों द्वारा विचार किया जाना चाहिए। मान लीजिए कि कैग की रिपोर्ट 2022-2023 की है, तो ऐसी कोई जरूरत नहीं है कि इस पर इस विधानसभा द्वारा विचार किया जाए। अगली विधानसभा के पास रिपोर्टों पर विचार करने की सभी शक्तियां होती हैं।

    यह कोई सरकारी या निजी संकल्प नहीं है जो विस के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जाएगा। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव के कारण यह याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया। कोर्ट विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता समेत अन्य भाजपा नेताओं की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

    भाजपा विधायकों ने 14 कैग रिपोर्टों को सदन में पेश करने का निर्देश देने की मांग की है। 14 जनवरी को हुई पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए टिप्पणी की थी कि दिल्ली सरकार कैग रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखने में अनिच्छा दिखा रही है।