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    HC ने दिल्ली पुलिस से कहा- घोषित अपराधियों का डेटा ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने की प्रक्रिया क्या है?

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से घोषित अपराधियों के डेटा को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने वाली एजेंसी के बारे में जानकारी मांगी है। साथ ही पोर्टल पर सत्यापन और अपलोड करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में भी बताने को कहा। न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है कि मई 2023 में तत्कालीन पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन के लिए कौन सी एजेंसी जिम्मेदार है।

    By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 25 Sep 2023 06:02 PM (IST)
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    HC ने दिल्ली पुलिस से कहा- घोषित अपराधियों का डेटा ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने की प्रक्रिया क्या है?

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से घोषित अपराधियों के डेटा को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने वाली एजेंसी के बारे में जानकारी मांगी है। साथ ही पोर्टल पर सत्यापन और अपलोड करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में भी बताने को कहा।

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    न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है कि मई 2023 में तत्कालीन पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन के लिए कौन सी एजेंसी जिम्मेदार है।

    एजेंसी को लेकर अस्पष्टता

    अदालत ने दिल्ली पुलिस से यह स्पष्टीकरण तब मांगा, जब न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण मोहन ने पीठ को सूचित किया कि अदालत द्वारा नियुक्त समिति की बैठक में घोषित अपराधियों या घोषित व्यक्तियों के डाटा को अपलोड कौन सी एजेंसी करती है, जिसे लेकर अस्पष्टता थी।

    कोर्ट ने मांगी संक्षिप्त रिपोर्ट

    उक्त तथ्य को देखते हुए अदालत ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी (कानूनी प्रभाग) को मामले में एक संक्षिप्त रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही मामले की सुनवाई छह दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

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    दिल्ली पुलिस करेगी डेटा अपलोड

    मई 2023 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) तलवंत सिंह की पीठ ने निर्देश दिया था कि डेटा अपलोड करने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की होगी। न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने परियोजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को आवश्यक सॉफ्टवेयर विकसित करने और डाटा के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचा, वेब स्पेस और खोज सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया था। साथ ही यह भी आदेश दिया था कि यह काम अदालत द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के मार्गदर्शन में किया जाए।

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    समिति की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) करते हैं। इंटर-ऑपरेशनल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) के निदेशक/प्रभारी को निगरानी समिति के साथ समन्वय करने के साथ ही परियोजना के लिए हर संभव तकनीकी और सामरिक सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया था।