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    International Day of Yoga 2022: दिल और बीपी से पीड़ित को क्या करना चाहिए योग? पढ़िये- शोध के नतीजे और खुद तय कीजिए

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Tue, 21 Jun 2022 08:10 AM (IST)

    International Day of Yoga 2022 ताजा शोध के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे अमेरिका के मेडिकल जर्नल जेएसीसी (जर्नल आफ द अमेरिकन कालेज आफ कार्डियोलाजी) में प्रकाशित भी किया गया है।

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    International Day of Yoga 2022: दिल और बीपी से पीड़ित को क्या करना चाहिए योग? पढ़िये- शोध के नतीजे

    नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर कम होने से होने वाली बेहोशी की बीमारी वसोवागल सिंकोप से पीड़ित मरीजों के लिए योग मददगार साबित हो सकता है। एम्स के एकीकृत चिकित्सा और अनुसंधान केंद्र (सेंटर फार इंटीग्रेटेड मेडिसिन एंड रिसर्च) और कार्डियोलाजी विभाग के डाक्टरों द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि बेहोशी के इस बीमारी में प्रचलित मानक इलाज के साथ योग का इस्तेमाल ज्यादा असरदार है।

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    इस शोध से पता चला है कि योग करने से बेहोशी के दौरे काफी कम हो जाते हैं। शोध में यह भी पाया गया कि एक साल तक फालोअप के दौरान योग करने वाले 43.3 प्रतिशत मरीजों को एक बार भी बेहोशी का दौरा नहीं पड़ा, जबकि योग के बिना इलाज कराने वाले 16 प्रतिशत मरीज एक साल ही बीमारी से दूर रहे।

    अब दिल्ली स्थित एम्स के डाक्टरों को उम्मीद है कि आने वाले समय में वसोवागल सिंकोप के इलाज के प्रोटोकाल में योग को शामिल किया जाएगा।

    इस शोध के प्रमुख इन्वेस्टिगेटर, एम्स के कार्डियालोजी विभाग के प्रोफेसर और सेंटर फार इंटीग्रेटेड मेडिसिन एंड रिसर्च के प्रभारी डा. गौतम शर्मा ने कहा कि आटोनोमिक तंत्रिका तंत्र में असंतुलन के कारण यह बीमारी होती है।

    उन्होंने बताया कि यह बहुत ही सामान्य बीमारी है। दिल की कोई बीमारी नहीं होने के बावजूद इससे पीड़ित देर तक खड़ा रहने, ब्लड सैंपल लेते हुए या कोई भी तनावपूर्ण स्थिति होने पर बेहोश होकर गिर जाते हैं,  क्योंकि धड़कन व ब्लड प्रेशर अचानक बहुत कम हो जाता है।

    इस वजह से रोजमर्रा के जीवन में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वाहन चालक और पायलेट को यह बीमारी हो तो यात्रियों की जिंदगी भी खतरे में रहती है। इस बीमारी का अत्याधुनिक चिकित्सा में कोई कारगर इलाज नहीं है। इसलिए सांस से जुड़े व्यायाम, आसन और ध्यान को मिलाकर योग का विशेष माड्यूल तैयार किया गया और 55 मरीजों पर ट्रायल किया गया।

    इन मरीजों को दो वर्गों में बांटकर शोध किया। इन मरीजों की उम्र 15 से 70 साल थी। इसमें 65.4 प्रतिशत महिला मरीज थीं। पहले वर्ग के 30 मरीजों को इलाज के मौजूदा प्रोटोकाल के साथ-साथ योग कराया गया, जबकि दूसरे वर्ग 25 मरीजों को सिर्फ मौजूदा प्रोटोकाल के अनुसार इलाज किया गया।

    ट्रायल के दौरान छह सप्ताह, छह माह व 12 माह पर मरीजों की फालोअप जांच कर परिणाम का आंकलन किया गया। उन्होंने बताया कहा कि शोध में यह पाया गया कि योग करने वाले मरीजों में बेहोशी के दौरे दूसरे वर्ग के मरीजों की तुलना में अधिक कम हो गए, क्योंकि योग आटोनोमिक तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है। आगे इस पर बड़े स्तर पर शोध होगा।