दिल्ली दंगा : पुलिस पर लगाया गोपनीय गवाह का नाम सार्वजनिक करने का आरोप
दिल्ली दंगे की साजिश रचने के मामले में आरोपित गुलफिशा फातिमा की जमानत अर्जी पर पक्ष रखते हुए अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कड़कड़डूमा कोर्ट में कहा कि पुलिस द्वारा प्रस्तुत वाट्सएप चैट साक्ष्य अधिनियम के तहत मान्य नहीं है।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली दंगे की साजिश रचने के मामले में मंगलवार को आरोपित गुलफिशा फातिमा की जमानत अर्जी पर कड़कड़डूमा कोर्ट में सुनवाई हुई। आरोपित की तरफ से अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा कि पुलिस ने आरोपपत्र के साथ वाट्सएप चैट के स्क्रीनशाट लगाए हैं, जोकि साक्ष्य के तौर पर मान्य नहीं हो सकते। क्योंकि उन्हें प्रमाणित नहीं कराया गया है। तर्क दिया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत बिना प्रमाणीकरण के इस तरह की सामग्री को वैध नहीं माना जा सकता। प्राचा ने पुलिस पर आरोपपत्र में गोपनीय गवाह का नाम उजागर करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट से कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया।इस मामले में गुलफिशा फातिमा को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। वह अभी न्यायिक हिरासत में है। उसकी पैरवी कर रहे अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने अब तक गुलफिशा का मोबाइल भी बरामद नहीं किया है, लेकिन आरोपपत्र में मोबाइल के जरिये अन्य आरोपितों से उसके संपर्क के बारे में बताया गया है।
उन्होंने कहा कि गुलफिशा पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप नहीं बनता है।इस पर विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि यह बात सही है कि आरोपित का मोबाइल नहीं मिला है। उसके मोबाइल नंबर की काल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) और अन्य आरोपितों के मोबाइल से मिली जानकारी के आधार पर आरोपपत्र में उसके संपर्कों के बारे में जिक्र किया गया है। अब इस मामले में बुधवार को सुनवाई होगी। इस मामले में आरोपित तस्लीम की जमानत अर्जी पर भी अधिवक्ता महमूद प्राचा ने पक्ष रखा।
उमर की जमानत पर नहीं हो सकी सुनवाई
दंगे की साजिश के मामले में मंगलवार को आरोपित उमर खालिद की जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी। इस मामले में अन्य आरोपितों की जमानत पर जिरह लंबी चलने के कारण कोर्ट ने उमर के वकील की गुजारिश पर सुनवाई को बुधवार के लिए टाल दिया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।