कोरोना के दौरान खुली दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल, अभी भी बायोमेडिकल वेस्ट के लिए नहीं कोई सुविधा
देशभर में चौथे नंबर पर पहुंची दिल्ली लेकिन आक्सीजन की उपलब्धता की तरह कोविड बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए भी दूसरे राज्यों पर निर्भर। बवाना में एक प्राइवेट प्लांट निर्माणाधीन दिल्ली सरकार ने दो प्लांटों के लिए छह माह से मांग रखी हैं निविदाएं।
नई दिल्ली, [संजीव गुप्ता]। कोरोना महामारी ने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की हर स्तर पर कलई खोलकर रख दी है। प्राणवायु यानी आक्सीजन आपूर्ति के लिए तो दिल्ली अन्य राज्यों पर निर्भर है ही, कोविड बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की भी यहां कोई सुविधा नहीं है। आलम यह है कि दिल्ली में कोविड बायोमेडिकल वेस्ट लगातार बढ़ रहा है। इस मामले में दिल्ली देश में चौथे नंबर पर पहुंच चुकी है, मगर इसका निस्तारण निजी एजेंसियों के जरिए अन्य राज्यों में हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक 2020 में देशभर में औैसतन 180 से 220 टन बायोमेडिकल वेस्ट प्रतिदिन निकल रहा था। लेकिन इस साल दस मई को इसकी मात्रा 250 टन प्रतिदिन तक पहुंच गई। आलम यह है कि फरवरी से लगातार इसमें इजाफा हो रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट देखें तो फरवरी 2021 में बायोमेडिकल वेस्ट 53 टन प्रतिदिन दर निकल रहा था। मार्च में यह बढ़कर 75, अप्रैल में 139 और मई में 203 टन प्रतिदिन पहुंच गया। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड बायोमेडिकल वेस्ट के मामले में केरल पहले, गुजरात दूसरे, महाराष्ट्र तीसरे और दिल्ली चौथे, कर्नाटक पांचवे, उत्तर प्रदेश छठे, तमिलनाडु सातवें, हरियाणा आठवें, आंध्र प्रदेश नौवें और मध्य प्रदेश दसवें नंबर पर है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ही सीपीसीबी के चेयरमैन शिवदास मीणा ने कोविड बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर हाल ही में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों के साथ बैठक की और आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी किए। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में कोविड बायोमेडिकल वेस्ट बढ़ने की एक प्रमुख वजह कामन मेडिकल वेस्ट और कोविड मेडिकल वेस्ट को अलग नहीं किया जाना भी है। उनका कहना है कि यदि कोविड मेडिकल वेस्ट को कामन मेडिकल वेस्ट से अलग किया जाए तो न सिर्फ इसकी मात्रा में कमी आएगी, बल्कि कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) पर बोझ भी कम होगा।
दिल्ली का हाल भगवान भरोसे
11 जिलों में बंटी दिल्ली में बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए मौजूदा समय में एक भी प्लांट नहीं है। बवाना में एक प्राइवेट प्लांट निर्माणाधीन है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने दो कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट एंड डिस्पोजेबल फैसेलिटिज (सीबीडब्ल्यूटीएफ) बनाने की योजना बनाई है। दोनों प्लांट बिल्ट, आपरेट, ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर बनेंगे और यह वेस्ट एकत्र करने, उसे प्लांट तक लाने और उसके निस्तारण तक की सारी जिम्मेदारी पूरी करेंगे। लेकिन यह योजना भी पिछले छह माह से फाइलों में ही है। कहने को डीपीसीसी ने इस बाबत निविदाएं भी मंगा ली हैं, लेकिन पहले इसकी अंतिम तारीख 15 फरवरी 2021 थी जो बाद में बार-बार बढ़ाते हुए अब चार जून 2021 कर दी गई है।
टाप-10 राज्यों की स्थिति
राज्य बायोमेडिकल वेस्ट
केरल - 23.71 टन प्रतिदिन
गुजरात - 21.98 टन प्रतिदिन
महाराष्ट्र - 19.02 टन प्रतिदिन
दिल्ली - 18.79 टन प्रतिदिन
कर्नाटक - 16.91 टन प्रतिदिन
उत्तर प्रदेश - 15.91 टन प्रतिदिन
तमिलनाडु - 13.57 टन प्रतिदिन
हरियाणा - 13.11 टन प्रतिदिन
आंध्र प्रदेश - 9.99 टन प्रतिदिन
मध्य प्रदेश - 7.32 टन प्रतिदिन
सीपीसीबी अधिकारी का बयान
सीपीसीबी की ओर से सभी स्थानीय निकायों, अस्पतालों, कोविड केयर सेंटर, आइसोलेशन सेंटर इत्यादि के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। दिल्ली को भी इसके निस्तारण की पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए।
-डा अनिल गुप्ता, सदस्य, सीपीसीबी