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    संगीतमयी प्रस्तुतियों से गूंजा हैबिटेट सेंटर, उस्ताद साबरी खान साहब को दी श्रद्धांजलि

    उस्ताद साबरी खान ने लगभग 50 वर्षों तक आल इंडिया रेडियो में एक शीर्ष श्रेणी के कलाकार के रूप में काम किया। वह 15 अगस्त 1947 को भारतीय संसद भवन में भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रदर्शन करने वाले संगीतकारों में से एक थे।

    By Prateek KumarEdited By: Updated: Fri, 22 Apr 2022 10:07 PM (IST)
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    इंडिया हैबीटेट सेन्टर के स्टाइन आडीटोरियम में गुरुवार शाम सौरंग संगीत सोसायटी द्वारा सौरंग उत्सव का आयोजन किया गया।

    नई दिल्ली [रजनीश पांडेय]। इंडिया हैबीटेट सेन्टर के स्टाइन आडीटोरियम में गुरुवार शाम सौरंग संगीत सोसायटी द्वारा सौरंग उत्सव का आयोजन किया गया। द रियल गाड आफ सारंगी के नाम से प्रख्यात उस्ताद साबरी खान साहब की जयंती मनाने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय शास्त्रीय संगीत क्षेत्र के प्रख्यात कलाकारों सारंगीवादक उस्ताद कमाल साबरी, गायक पं. आनंद ठाकोर एवं सितारवादक प. शुभेंद्र राव ने संगीतमयी प्रस्तुति देकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सुखमय बनर्जी, जहीन खान, तबलावादक रूपक खरवंडीकर और हारमोनियम पर जाकिर धौलपुरी ने उनका साथ दिया।

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    कार्यक्रम की शुरुआत उस्ताद कमाल साबरी के सारंगी वादन से हुई। उन्होंने राग पूर्वी में एक बंदिश प्रस्तुत की। उनके बाद पं. आनन्द ठाकोर ने राग भूप में प्रस्तुति दी, उन्होंने गायन की विविधताओं से उपस्थित दर्शकों की वाह-वाही लूटी। कार्यक्रम की तीसरी व अंतिम प्रस्तुति पं. शुभेन्द्र राव की रही उन्होंने राग रागेश्वरी प्रस्तुत किया। उन्होंने आलाप-जोड़-झाला, रूपक ताल, मध्य ताल एवं तीन ताल में प्रस्तुति देकर उस्ताद साबरी खान साहब को संगीतमयी श्रद्धांजलि दी।

    सौरंग संगीत सोसायटी के संस्थापक, सारंगी वादक एवं उस्ताद साबरी खान के सुपुत्र उस्ताद कमाल साबरी ने बताया कि हमारा उद्देश्य यह है कि लोगों के बीच शास्त्रीय कलाकारों, शास्त्रीय संगीत के प्रति रूचि बढ़े और लोगों को अच्छा संगीत सुनने को मिले। उन्होंने बताया कि उस्ताद साबरी खान साहब ने सारंगी को बतौर संगीत वाद्ययंत्र एक नया जीवन दिया और वे भारत के सबसे प्रसिद्ध दिग्गज संगीतकारों में से एक हैं। उन्होंने मुरादाबाद घराना के अन्तर्गत सारंगी प्रतिपादकों की अटूट वंशावली की छठवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व किया। उस्ताद साबरी खान ने लगभग 50 वर्षों तक आल इंडिया रेडियो में एक शीर्ष श्रेणी के कलाकार के रूप में काम किया। वह 15 अगस्त, 1947 को भारतीय संसद भवन में भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रदर्शन करने वाले संगीतकारों में से एक थे।