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मनजिंदर सिंह सिरसा का दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अध्यक्ष बनने का सपना टूटा, अयोग्य घोषित

गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने डीएसजीएमसी चुनाव में हारे निवर्तमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के नामित सदस्य के रूप में डीएसजीएमसी का सदस्य बनने के लिए अयोग्य ठहराया है। सिरसा चुनाव निदेशालय में पंजाबी लिख और पढ़ नहीं पाए थे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 06:30 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 07:49 AM (IST)
मनजिंदर सिंह सिरसा का दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अध्यक्ष बनने का सपना टूटा, अयोग्य घोषित
मनजिंदर सिंह सिरसा का डीएसजीएमसी का अध्यक्ष बनने का सपना टूटा

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के निर्वतमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा का बैक डोर से दूसरी बार इस कुर्सी को हासिल करने का सपना टूट गया है। पंजाबी का ज्ञान नहीं होने के कारण उन्हें अयोग्य करार दिया गया है। डीएसजीएमसी चुनाव हारने के बाद भी उन्हें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने नामित सदस्य मनोनीत किया था, जिससे उनके बैक डोर से अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो गया था, लेकिन सिरसा को डीएसजीएमसी चुनाव में हराने वाले शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के महासचिव हरविंदर सिंह सरना ने एसजीपीसी के इस कदम को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

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उन्होंने शिकायत की थी कि सिरसा को पंजाबी का ज्ञान नहीं है और डीएसजीएमसी का सदस्य बनने के लिए यह अनिवार्य है। हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय में पंजाबी का टेस्ट देना पड़ा, जिसमें वह फेल हो गए। इस आधार पर निदेशालय ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया।

डीएसजीएमसी के नामित सदस्यों के चयन के लिए विगत नौ सितंबर को गुरुद्वारा निदेशालय में नवनिर्वाचित सदस्यों की बैठक बुलाई गई थी। उसी दिन हरविंदर सिंह सरना ने निदेशक के सामने एसजीपीसी द्वारा सिरसा के मनोनयन पर आपत्ति दर्ज करा दी थी। निदेशक ने स्पष्ट नियम नहीं होने का हवाला देकर उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया था। उसके बाद सरना हाई कोर्ट चले गए थे।

हाई कोर्ट के निर्देश पर सिरसा को पंजाबी का टेस्ट देने के लिए 17 सितंबर को गुरुद्वारा निदेशालय में बुलाया गया था। उस दिन सिरसा ने दावा किया था कि उन्होंने अच्छी तरह से पंजाबी पढ़ी व लिखी, लेकिन सिरसा का यह दावा गलत निकला और गुरुद्वारा चुनाव निदेशक ने मंगलवार को उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया।

निदेशक द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि सिरसा गुरु ग्रंथ साहिब के अंग (पृष्ठ) 1358 पर लिखित गुरबाणी नहीं पढ़ पाए। बाद में उन्होंने अपनी मर्जी से पंजाबी में आवेदन पत्र लिखने की अनुमति मांगी। 46 शब्दों में लिखे गए आवेदन में 27 शब्द अशुद्ध थे। निदेशक ने डीएसजीएमसी एक्ट की धारा दस के आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया।

24 को होगी नामित सदस्यों की घोषणा

गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने डीएसजीएमसी में नौ नामित सदस्यों के चयन के लिए सभी नवनिर्वाचित सदस्यों की बैठक 24 सितंबर को बुलाई है। कमेटी में कुल 55 सदस्य होते हैं। 46 संगत द्वारा चुने जाते हैं। वहीं, श्री अकाल तख्त साहिब, तख्त श्री पटना साहिब, तख्त श्री केशगढ़ साहिब तथा तख्त श्री हुजूर साहिब के जत्थेदार इसके सदस्य होते हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का एक प्रतिनिधि भी डीएसजीएमसी का सदस्य होता है। दिल्ली की सिंह सभाओं के अध्यक्षों में से दो को कमेटी का सदस्य बनाया जाता है। इनका चयन लाटरी से होता है और दो सदस्यों का चुनाव कमेटी के चुने हुए 46 सदस्य मतदान के जरिये करते हैं।


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