Heat Wave Death: 1992 और 2015 में लू और अधिक तापमान से 24,223 लोगों की मौत, ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट ने चौंकाया
लू और अधिक तापमान का कहर किस हद तक घातक है इसका अंदाजा ग्रीनपीस इंडिया द्वारा जारी नई रिपोर्ट “हीटवेव हैवक इन्वेस्टिगेटिंग द इंपैक्ट आन स्ट्रीट वेंडर्स” से लगता है। यह रिपोर्ट बताती है कि 1992 और 2015 के बीच यानी 23 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार लू और अत्यधिक तापमान की घटनाओं के कारण पूरे देश में 24223 मौतें हुईं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। लू और अधिक तापमान का कहर किस हद तक घातक है, इसका अंदाजा ग्रीनपीस इंडिया द्वारा जारी नई रिपोर्ट “हीटवेव हैवक : इन्वेस्टिगेटिंग द इंपैक्ट आन स्ट्रीट वेंडर्स” से लगता है। यह रिपोर्ट बताती है कि 1992 और 2015 के बीच यानी 23 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, लू और अत्यधिक तापमान की घटनाओं के कारण पूरे देश में 24,223 मौतें हुईं।
यही नहीं, दिल्ली, जिसे भारत के सबसे गर्म शहरों में माना जाता है, अपनी बड़ी आबादी व निम्न-आय समूहों की बड़ी संख्या के कारण लू के असर के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है।
स्ट्रीट वेंडर्स को लू से आय में नुकसान
हाल ही में जारी यह रिपोर्ट दिल्ली में स्ट्रीट वेंडर्स की आजीविका पर अत्यधिक गर्मी और लू के गंभीर प्रभाव एवं चुनौतियों को उजागर करती है। रिपोर्ट में 700 से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स के अनुभव शामिल किए गए हैं। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष बताते हैं कि 49.27 प्रतिशत स्ट्रीट वेंडर्स ने लू चलने की अवधि में आय में कमी की बात स्वीकार की।
गर्मी में कम निकलते हैं ग्राहक
जिसमें से 80.08 प्रतिशत ने ग्राहकों की संख्या में कमी को बात रखी। 50.86 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें अतिरिक्त घरेलू खर्चों के कारण अधिक वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ा, जिसमें अत्यधिक गर्मी के दौरान औसतन अतिरिक्त खर्च 4896.52 रुपये तक था।
महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी असर
आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि महिलाएं और हाशिये पर रहने वाले अन्य समूह भी प्रभावित होते हैं। आठ में से सात महिला स्ट्रीट वेंडर ने उच्च रक्तचाप का अनुभव किया और मध्यम आयु वर्ग की कई महिलाओं ने गर्मी के कारण मासिक धर्म चक्र में रुकावट की सूचना दी।
दिल्ली में स्ट्रीट वेंडर का काम जोखिम भरा
यह रिपोर्ट संभवतः पहला ऐसा अध्ययन है, जो दिल्ली में स्ट्रीट वेंडर्स पर लू के प्रभाव को उजागर करती है, जिसमें स्वास्थ्य जोखिम, आजीविका की चुनौतियों, अनुकूलन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि 82.74 प्रतिशत विक्रेताओं को लू से निपटने के लिए कोई मार्गदर्शन नहीं मिला और 71.05 प्रतिशत ने आपात स्थितियों के दौरान चिकित्सा सहायता पाने में संघर्ष किया।
पेयजल और शौचालय की व्यवस्था जरूरी
इन समस्याओं को हल करने के लिए रिपोर्ट में विक्रेताओं की जरूरतों को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है, जैसे पेयजल और शौचालय की सुविधाएं स्थापित करना। दिल्ली हीट एक्शन प्लान प्राधिकरण से आग्रह करता है कि वह विक्रेताओं और अन्य बाहरी श्रमिकों से व्यापक रूप से परामर्श करें ताकि उनकी कमजोरियों को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सके।''
ग्रीनपीस इंडिया की कैंपेनर सेलोमी गरनाइक कहती हैं, ''अंदर काम करने वालों की तुलना में उन श्रमिकों, जो धूप में काम करते हैं, को गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है। हम एनडीएमए से आग्रह करते हैं कि वे लू को राष्ट्रीय आपदा घोषित करें, जिससे अनुकूलन, शमन और राहत के लिए उचित धन सुनिश्चित हो सके। मौजूदा समय में हीट एक्शन एक्शन प्लान केवल सलाहकारी है, उसे धन और कानूनी जवाबदेही की भी आवश्यकता है।''
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