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    दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों में रहने वालों के लिए खुशखबरी, निगम ने DDA से मांगी नक्शा पास करने की अनुमति, जानिए अन्य डिटेल

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 27 Aug 2021 02:21 PM (IST)

    मकान तोड़े जाने के डर के बीच अनधिकृत कालोनियों में रह रहे लोगों का अब राहत मिलने वाली है। इसके लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने बड़ी कवायद शुरू की है। निगम ने इन कालोनियों में रहने वालों को राहत देने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से नक्शा पास करने की अनुमति मांगी है।

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    एसडीएमसी आयुक्त ने लिखा पीएम उदय योजना के भूमि प्रबंधन निदेशक को पत्र

    नई दिल्ली [निहाल सिंह]। मकान तोड़े जाने के डर के बीच अनधिकृत कालोनियों में रह रहे लोगों का अब राहत मिलने वाली है। इसके लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने बड़ी कवायद शुरू की है। निगम ने इन कालोनियों में रहने वालों को राहत देने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से नक्शा पास करने की अनुमति मांगी है। यदि डीडीए से यह अनुमति मिल जाती है तो अनधिकृत कालोनियों में नियमित निर्माण का रास्ता साफ हो सकेगा। इतना ही नहीं, बार-बार स्पेशल प्रोविजन एक्ट के संशोधन की आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी। इससे अनधिकृत कालोनियों में धीरे-धीरे सभी निर्माण नियमित हो सकेगा।

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    दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के आयुक्त की ओर से इसके लिए डीडीए को पत्र लिखा गया है। डीडीए के पीएम उदय योजना के भूमि प्रबंधन निदेशक को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि अनधिकृत कालोनियों के लोगों को मालिकाना हक देने के लिए केंद्र सरकार 29 अक्टूबर 2019 को प्रधानमंत्री अनधिकृत कालोनी आवास अधिकार योजना (पीएम उदय) के तहत 1731 कालोनियों को इसे दायरे में लाई थी। इसके तहत डीडीए द्वारा इन कालोनियों के लोगों को मालिकाना हक दिया जा रहा है। चूंकि अब लोगों को मालिकाना हक मिलना शुरू हो गया तो क्यों न उनकी संपत्ति के निर्माण को नियमित भी कर दिया जाए या फिर नए सिरे से निर्माण के लिए नक्शे पास करने की अनुमति दी जाए। इससे पीएम उदय योजना का लोगों को पूरा लाभ मिल सकेगा।

    उल्लेखनीय है कि डीडीए से मालिकाना हक लेने के लिए अब तक सवा चार लाख लोगों ने पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। हालांकि, इनमें से 78,563 लोगों के ही आवेदन डीडीए को मिले हैं, जिनमें से 8,390 संपत्तियों के मालिकों को मालिकाना हक दे दिया गया है। यदि, दक्षिणी निगम के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो इसे पूरी दिल्ली में लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

    ...तो खत्म हो जाएगी स्पेशल प्रोविजन एक्ट की जरूरत

    दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों में अवैध निर्माण को संरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार पहली बार वर्ष 2007 में स्पेशल प्रोविजन एक्ट लेकर आई थी। पहले 2011 में और फिर 2019 में भी इसे बढ़ाया गया था। हाल ही में फरवरी में दिसंबर 2023 तक के लिए इस एक्ट की समय सीमा को बढ़ाकर अनधिकृत कालोनियों में अवैध निर्माण पर तीन साल के लिए संरक्षण दिया गया है।

    अगर, मालिकाना हक लेने वाले संपत्ति मालिकों का निर्माण नियमित हो जाए या उनके संपत्ति पर नक्शे पास हो जाएं तो इस एक्ट की जरूरत ही खत्म हो जाएगी। यह कानून अवैध निर्माण को संरक्षण देता है। पीएम उदय योजना के तहत अनधिकृत कालोनियों में संपत्ति को मालिकाना हक तो दिया जा रहा है, लेकिन यहां पर निर्माण अब भी अवैध ही है। जब तक यह नियमित नहीं होगा तब तक इन पर कार्रवाई की तलवार लटकती रहेगी। यह तलवार तभी हटेगी तब यह निर्माण नियमित हो जाए या फिर निगम द्वारा पास किए गए नक्शे के आधार पर निर्माण किया जाए।