IMA: जेनेरिक दवाओं की अनिवार्यता मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्री से मिले आईएमए सदस्य, NMC Regulations पर जताई चिंता
आईएमए ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने सभी को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय दिया और उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया। आईएमए का कहना है कि भारत में निर्मित 0.1 प्रतिशत से भी कम दवाओं की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है। मुलाकात के दौरान सदस्यों ने सुझाव दिया कि पंजीकृत डाक्टरों को फार्मास्यूटिकल कंपनियों सहयोगी स्वास्थ्य क्षेत्र द्वारा प्रायोजित सम्मेलनों में सम्मिलित होने की अनुमति मिलनी चाहिए।

नई दिल्ली, एजेंसी: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और इंडियन फार्मास्यूटिकल अलायंस (आईएफए) के सदस्यों ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने डाक्टरों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखने की अनिवार्यता संबंधी नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के रेगुलेशंस पर चिंता व्यक्त की।
मुलाकात के दौरान सदस्यों ने सुझाव दिया कि पंजीकृत डाक्टरों को फार्मास्यूटिकल कंपनियों या सहयोगी स्वास्थ्य क्षेत्र द्वारा प्रायोजित सम्मेलनों में सम्मिलित होने की अनुमति दी जानी चाहिए। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. शरद कुमार अग्रवाल ने बताया,
हमने जेनेरिक दवाएं लिखने की अनिवार्यता पर अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी गुणवत्ता के बारे में अनिश्चितता के कारण यह संभव नहीं है। इसके अलावा डाक्टरों के लिए चिकित्सा विज्ञान एक निरंतर विकसित होने वाला क्षेत्र है और डाक्टरों को फार्मास्यूटिकल कंपनियों के सहयोग से आयोजित सम्मेलनों के माध्यम से नवीनतम विकास व दवाओं के संबंध में अपने ज्ञान को उन्नत करने की आवश्यकता होती है और इसकी अनुमति दी जानी चाहिए।
बाद में एक बयान में आईएमए ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने सभी को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय दिया और उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया। आईएमए का कहना है कि भारत में निर्मित 0.1 प्रतिशत से भी कम दवाओं की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है।
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