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    जीबी पंत अस्पताल का धीमा सर्वर हल्की कर रहा मरीजों की जेब, अस्पताल प्रबंधन नहीं निकाल पा रहा परमानेंट सॉल्यूशन

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 06:23 PM (IST)

    दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में सर्वर धीमा होने के कारण मरीजों को दवा पर्ची की फोटोकॉपी करानी पड़ती है जिससे उनका अतिरिक्त खर्च हो रहा है। हर दिन लगभग तीन हजार मरीजों को यह परेशानी झेलनी पड़ती है। पिछले दस वर्षों से यह समस्या बनी हुई है जिसके समाधान के लिए अस्पताल प्रशासन को कई बार पत्र लिखे गए लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

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    जीबी पंत अस्पताल में मरीजों को हो रही परेशानी।

    उदय जगताप, नई दिल्ली: देश 5जी युग में कदम रख चुका है। हर दफ्तर, हर विभाग डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन राजधानी के जीबी पंत अस्पताल का फार्मासिस्ट विभाग अब भी धीमे सर्वर और कागजी कार्रवाई के जाल में उलझा हुआ है।

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    यहां स्थिति यह है कि दवा लेने आए हर मरीज की पर्ची की फोटोकाॅपी कराकर उसे दस्तावेज के तौर पर रखा जाता है। अस्पताल का सर्वर इतना धीमा है कि ऑनलाइन रिकार्ड रखना असंभव हो गया है।

    इसके चलते कागजों का बोझ लगातार अस्पताल पर बढ़ता जा रहा है। समय भी अधिक खर्च हो रहा है। अस्पताल परिसर में दवाएं बांटने के 10 केंद्र हैं। हर केंद्र पर 300 मरीज रोज पहुंचते हैं। यानी करीब तीन हजार मरीजों को रोज फोटोकाॅपी कराने जाना पड़ता है।

    मरीजों की जेब से रोज 12 हजार रुपये निकल जाते हैं

    फोटोकाॅपी कराने के लिए मरीजों को बाहर की दुकानों पर जाना पड़ता है। एक पर्ची की प्रति के लिए चार रुपये तक लिए जाते हैं। इस तरह मरीजों की जेब से रोज करीब 12 हजार रुपये निकल रहे हैं।

    यह खर्च उनके इलाज के अलावा है। यह समस्या नई नहीं है। पिछले दस वर्षों से फार्मासिस्ट विभाग धीमे सर्वर की दिक्कत से जूझ रहा है।

    इस दौरान विभाग ने कई बार अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य निदेशक को पत्र लिखे। समाधान का आश्वासन भी मिला, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

    नहीं निकाला जा रहा स्थायी समाधान

    इसका स्थायी समाधान नहीं निकाला जा पा रहा है। दवाएं लेने पहुंचे एक मरीज प्रतीक गुप्ता ने कहा, पहले से पता नहीं होता कि पर्चे की फोटोकापी देनी है।

    काउंटर पर लाइन में खड़ा होने के बाद पता चलता है। फिर बाहर फोटोकापी के लिए जाना पड़ता है। इसमें अत्यधिक समय बर्बाद होता है।

    इस व्यवस्था से न सिर्फ मरीजों का समय और पैसा बर्बाद होता है, बल्कि फार्मासिस्ट विभाग के कर्मचारियों पर भी अनावश्यक कागज़ी काम का बोझ बढ़ता है।

    एक अधिकारी ने कहा- रिकार्ड रखना मजबूरी

    मरीजों की लंबी कतारें लगती हैं, दवाओं का वितरण धीमा पड़ता है और कामकाज प्रभावित हो रहा है। विभाग के एक अधिकारी ने कहा, अब अस्पताल में फोटोकापी कराए गए पर्चे रखने के लिए जगह कम पड़ने लगी है।

    रिकार्ड रखना हमारी मजबूरी है। सर्वर को लेकर कई बार प्रयास किए गए, लेकिन समस्या सुलझ नहीं सकी। धीमे सर्वर से मरीजों को जल्द दवाएं देना आसान मुश्किल भरा काम है।

    सर्वर अपग्रेड होने पर ही निकलेगा समाधान

    ऐसे में उनसे मजबूरन रिकार्ड के लिए फोटोकापी मांगी जाती है। उन्होंने कहा, समस्या का स्थायी समाधान सर्वर अपग्रेड कर ऑनलाइन व्यवस्था को सुचारू बनाना है।

    इससे रिकार्ड भी सुरक्षित रहेंगे और मरीजों को अनावश्यक भागदौड़ से राहत मिलेगी। इस बारे में बात करने के लिए अस्पताल के निदेशक प्रो. आबिद जिलानी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। एक अन्य अधिकारी से चर्चा की कोशिश की गई, लेकिन वह भी टालमटोल कर गए।