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    Garlic Price: प्याज-टमाटर के बाद मुंह चिढ़ा रहा लहसुन, 500 के पार पहुंचे दाम; कब तक मिलेगी राहत?

    Updated: Sun, 18 Feb 2024 09:19 AM (IST)

    लहसुन के दाम (Lahsun Rate) में इस तेजी के चलते गृहणियों के साथ ही रेस्तरां संचालकों ने भी लहसुन के उपयोग में कटौती की है। पिछले कुछ माह से लहसुन की मांग और आपूर्ति में अंतर बनी हुई है। इसके चलते दाम में तेजी है। शनिवार को थोक मंडी में 220 से 250 रुपये है तो खुदरा बाजार में यह 500 रुपये में बिका।

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    Garlic Price: प्याज-टमाटर के बाद मुंह चिढ़ा रहा लहसुन, 500 के पार पहुंचे दाम

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। प्याज व टमाटर के बाद अब लहसुन मुंह चिढ़ा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में खुदरा बाजार में यह 500 रुपये के भी पार चला गया है। इसके कुछ दिन इसी दर के आसपास बने रहने की आशंका है। आजादपुर मंडी के आढ़तियों के अनुसार मार्च के आरंभ तक मंडियों में नई फसल आनी आरंभ हो जाएगी, उसके बाद दाम में गिरावट आएगी।

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    किन राज्यों में होता है लहसुन का उत्पादन?

    दिल्ली में गुजरात, मध्य प्रदेश व गुजरात से मुख्य तौर से लहसुन आती है, इसी तरह पंजाब, उत्तर प्रदेश व कश्मीर की लहसुन का भी कुछ हिस्सा होता है। पिछले कुछ माह से लहसुन की मांग और आपूर्ति में अंतर बनी हुई है।

    इसके चलते दाम में तेजी है। शनिवार को थोक मंडी में 220 से 250 रुपये है तो खुदरा बाजार में यह 500 रुपये में बिका। जबकि हिमाचल की अच्छी गुणवत्ता वाली लहसुन की कीमत (Garlic Price) 600 रुपये किलो तक में है।

    रेस्तरां संचालकों ने की लहसुन के उपयोग में कटौती

    लहसुन के दाम में इस तेजी के चलते गृहणियों के साथ ही रेस्तरां संचालकों ने भी लहसुन के उपयोग में कटौती की है। दरियागंज स्थित जायका रेस्तरां के संचालक दानिश इकबाल के अनुसार मुगलई व्यंजनों में लहसुन की प्रमुखता है।

    उनके रेस्तरां में दो से तीन किलो लहसुन (Garlic Price) की खपत है। इस प्रकार रेस्तरां खर्च पर प्रतिदिन एक हजार रुपये का बोझ बढ़ गया है। एक गृहणी वंदना ने कहा कि, वह लहसुन काफी किफायत से ला रही हैं और उसका उपयोग कर रही हैं।

    इन राज्यों में दो बार होती है लहसुर की फसल

    आढ़तियों के अनुसार मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में लहसुर (Garlic Price) की फसल दो बार होती है। खरीफ की फसल को जून-जुलाई में लगाया जाता है और अक्टूबर-नवंबर में काटा जाता है। जबकि रबी की बुआई सितंबर-नवंबर में की जाती है और कटाई फरवरी-मार्च में की जाती है। इस साल मानसून देर से आने के कारण खरीफ का चक्र गड़बड़ है, जिसके कारण उत्पादन भी कम है।

    आजादपुर मंडी के आढ़ती चिराग गुप्ता ने बताया कि यह उपज आने का समय है। इसलिए बाजार में इसकी किल्लत है। कुछ किसान आंदोलन का भी असर है, जो इसके साथ कुछ सब्जियों को महंगा किए हुए हैं।

    जब मार्च में फसले आने लगेगी तो दाम में गिरावट की उम्मीद है। पिछले वर्ष इसी तरह प्याज और टमाटर ने भी दिल्ली वालों को परेशान किया था। जिसके कारण सरकारी एजेंसियों को सस्ते प्याज और टमाटर की बिक्री के माेर्चे पर उतरना पड़ा था।