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Delhi News: दिल्ली के गढ़ी मांडू जंगल में पक्षियों की कई गायब प्रजातियों को वापस लाने की तैयारी

कुछ साल पहले गौरैयों की संख्या में तेजी से गिरावट ने सुर्खियां बटोरीं। कई अध्ययनों ने इसे शहरीकरण और कीटनाशकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग और यहां तक कि विद्युत चुम्बकीय विकिरण के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसलिए हमने कुछ करने के बारे में सोचा।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 10:53 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 10:53 PM (IST)
दिल्ली में पक्षी के संरक्षण और संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करने का यह पहला ऐसा प्रयास है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली वन विभाग और बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) ने संयुक्त प्रयासों से पूर्वी दिल्ली स्थित गढ़ी मांडू के जंगल में 'गौरैया ग्राम' बनाया है। गौरैया को पासर डोमेस्टिकस के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह मनुष्यों के करीब रहती है। बीएनएचएस के दिल्ली प्रमुख सोहेल मदान बताते हैं, इन छोटे पक्षियों के लिए अनुपयुक्त आवास मनुष्यों के लिए भी अनुकूल नहीं है। चंचल पक्षी उन्हीं जगहों पर पनपते हैं जहां बहुत सारा अनाज और कीड़े हों, लेकिन कीटनाशकों के उपयोग ने उनके लिए भोजन की कमी पैदा कर दी। जहरीले रसायनों ने उन्हें दूर भगा दिया।मदान ने कहा, हमने करोंदा और कुंडली जैसे देशी जामुन, घास और झाडि़यां लगाई हैं। गौरैया ग्राम में फीडर बाक्स, कृत्रिम घोंसले और मिट्टी के बर्तन रखे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल राजधानी के जंगल में गौरैयों की संख्या का पता लगाने के लिए कोई तंत्र नहीं है। आने वाले दिनों में इसकी जनगणना भी कराई जा सकती है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में राज्य पक्षी के संरक्षण और संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करने का यह पहला ऐसा प्रयास है।

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